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विभागों के बंटवारे को लेकर फंसा पेच, प्रभावी विभागों के लिए सिंधिया का दबाव

पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के जोड़-तोड़ से शिवराज सिंह चौहान की अगुआई में भाजपा की सरकार तो बन गई, लेकिन पालेबंदी साफ तौर पर दिखने लगी है। तमाम कवायद के बाद किसी तरह मंत्रिमंडल का विस्तार तो हो गया, लेकिन अब विभागों के बंटवारे को लेकर मशक्कत शुरू हो गई है। शिवराज इसके लिए शनिवार को दिल्ली जाने वाले थे, लेकिन अचानक देर शाम यह यात्रा टल गई। सूत्रों का कहना है कि अब वे रविवार को सुबह दिल्ली जाएंगे। इससे कामकाज का बंटवारा होने में और भी विलंब हो सकता है।

शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों शिव के विष पीने की बात कहकर अपने दिल का गुबार तो निकाल दिया, लेकिन उनकी पीड़ा कम नहीं हो सकी। मंत्रिमंडल विस्तार के दो दिन बीत जाने के बावजूद विभागों को लेकर आम राय नहीं बन पाई। शिवराज की सरकार बनाने का सबसे बड़ा श्रेय ज्योतिरादित्य सिंधिया को है और सिंधिया इस एवज में अपने समर्थकों को अच्छे और प्रभावी विभाग दिलवाना चाहते हैं।पहले विस्तार में उनके करीबी तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को कमल नाथ सरकार की अपेक्षा कम महत्वपूर्ण विभाग मिले तो राजनीतिक गलियारों में इसे सिंधिया के प्रभाव से जोड़कर देखा जाने लगा। चर्चा यहां तक होने लगी कि अब वह भाजपा के दबाव में हैं, लेकिन मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार में अपने दर्जन भर समर्थक पूर्व विधायकों को शामिल कराकर उन्होंने अपनी ताकत दिखा दी। कहा जा रहा है कि अब वह महत्वपूर्ण विभागों के लिए मुख्यमंत्री से अपेक्षा कर चुके हैं। इधर, मुख्यमंत्री अपने चहेतों को बढ़िया विभाग सौंपना चाहते हैं। इस बीच संगठन की ओर से तीसरा मोर्चा भी खुल रहा है। संगठन कुछ मंत्रियों को बेहतर विभाग देकर उनकी हैसियत और अहमियत बढ़ाना चाहता है। इस वजह से रार जैसी स्थिति बन गई है।

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