शनिवार देर शाम श्रमिक स्पेशल ट्रेन से दिल्ली से बिहार जा रहे एक परिवार की खुशियों को ग्रहण लग गया। दस माह के मासूम की चलती ट्रेन में सांसें थम गई। मासूम अपनी मां, नाना, नानी व मामा के साथ दिल्ली से बिहार जा रहा था। मासूम को सर्दी व बुखार की शिकायत थी। जीआरपी ने शव को टूंडला स्टेशन पर उतारकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। स्वजनों को भी क्वारंटीन कराया गया है।
गांव नोतन थाना वनकटवा, जनपद पश्चिमी चंपारण बिहार निवासी प्रियंका के पिता देवलाल नोयडा में साप्ताहिक बाजार में कपड़े की दुकान लगाते हैं। वह नंवबर में पिता के घर आ गई थी। उसके बाद लॉक डाउन लग गया और वह रह गई। शनिवार शाम को वह अपने दस माह के पुत्र रौनक, पिता देवलाल, मां कुसमी देवी व 14 साल के भाई शैलेन्द्र के साथ दादरी से बिहार के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार हुए थे। पुत्री की मानसिक हालत ठीक न होने कारण परिवार उसे ससुराल छोडऩे जा रहा था। रौनक को सर्दी व बुखार की शिकायत थी। ट्रेन के अलीगढ़ स्टेशन निकलते ही अचानक उसकी तबियत बिगड़ गई। स्वजनों ने चिकित्सक की मांग की। जब तक उपचार मुहैया होता मासूम की सांसे थम चुकी थी। रात्रि करीब साढ़े आठ बजे ट्रेन को टूंडला स्टेशन पर रोका गया। जीआरपी ने बच्चे के शव को उतारने के साथ ही परिवार को भी उतारकर नगर के ठाकुर बीरी सिंह इंटर कॉलेज में क्वारंटीन कराया। मृतक के नाना ने बताया कि उनकी पुत्री की मानसिक हालत ठीक नहीं है। ऐसे में वह स्वयं ही उसे उसकी ससुराल छोडऩे जा रहे थे। उनका दामाद प्रमोद गांव में ही रहकर खेती करता है। जीआरपी इंस्पेक्टर एसके पौनियां ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के साथ ही परिवार व शव का कोरोना टेस्ट कराने को पत्र भेजा गया है। स्वजनों को भी क्वारंटीन कराया गया है। उनकी भी कोरोना जांच होगी। जांच रिपोर्ट के बाद शव स्वजनों के सुपुर्द कर दिया जाएगा।