Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img
HomeMera Lekhसृजनकार

सृजनकार

एक दिन घर के आंगन को खाली देख,
मैंने वहां कुछ बीजों का सृजन कर दिया,

जब वह बीज पौधों में परिवर्तित हुए,
तो उन पौधों ने मेरे घर के वातावरण में शुद्ध वायु का सृजन कर दिया,

जब उन पौधों में फूल आए,
तो उन फूलों ने मेरे आंगन में सुगन्ध का सृजन कर दिया,

धीरे धीरे आंगन में हरियाली बढ़ती गई,
और उस हरियाली ने एक सुन्दर बगीचे का सृजन कर दिया,

एक दिन मैं कुछ उदास थी, तो बगीचे में जा बैठी,
और उस बगीचे ने मेरे मुख पर मुस्कान का सृजन कर दिया,

समय बीता, कुछ पौधे पेड़ बने,
और जब उन पेडों पर फल आए,
तो उन फलों ने स्वादिष्ट आहार का सृजन कर दिया,

एक दिन मैं धूप में से आई थी,
थकी हुई उन पेडों की छांव में जा बैठी,
और उस छांव ने मेरे तन में ठंडक का सृजन कर दिया,

समय बीता, पेड़ सूख गए, अब उन पेड़ों पर पहले की तरह हरियाली नहीं थी,
फिर भी उन्होंने अपना समर्पण भाव नहीं छोड़ा,
और उस सूखे पेड़ ने मेरे चूल्हे की लकड़ी का सृजन कर दिया,

और जिन बीजों का मैं बावरी सृजन करने चली थी,
उन सृजनकारों ने मेरे जीवन का ही सृजन कर दिया।

–  The Khushi Dhangar