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सेहत का आधार है पोषण व जीवनशैली, डॉक्टर ने बताया उम्र के हर पड़ाव में महिलाएं कैसे रखें अपना ध्यान

 क्या आप भी बच्चों की क्या देखभाल या परिवार से जुड़े कार्यों अथवा प्रोफेशनल कामकाज के चलते अपनी सेहत को लेकर सजग नहीं हैं, तो तुरंत आपको सचेत होने की जरूरत है ।

व्यस्तता एक बड़ा कारण है जिसे महिलाओं की खराब सेहत से जोड़ा जाता है । जीवनशैली में अनियमितता और सजगता की कमी के चलते आज कम उम्र में ही महिलाएं उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि का शिकार भी हो रही हैं। पीसीओडी और इन्फर्टिलिटी की समस्या तेजी से उभर रही है।

चालीस के बाद और 20 की उम्र तैयार करें भविष्य का आधार आगे मेनोपोज से जुड़ी चुनौतियां अलग तरह की परेशानी पैदा करती हैं। बता दें मेनोपोज के बाद हड्डियों और मांसपेशियों की कमजोरी का जोखिम कहीं अधिक रहता है। चालीस के बाद हार्मोन्स में बदलाव के कारण हृदयरोग की आशंका स्त्रियों में भी समान रूप से होती है।

हालांकि, जैवकीय स्तर पर स्त्री-पुरुष दोनों की सेहत से जुड़ी चुनौतियां अलग-अलग होती हैं। चूंकि आज महिलाओं के ऊपर समान रूप से वर्कस्ट्रेस है, साथ ही घर परिवार की जिम्मेदारियों को भी संभालना होता है ऐसे में कामकाजी महिलाओं के साथ परिवार को भी इस गंभीर चुनौती को लेकर पहले से तैयार रहना होगा।

20 की उम्र: तैयार करे भविष्य का आधार

इस उम्र में अच्छा दिखने और व्यक्तित्व निखारने पर फोकस रहता है। ऊर्जा रहती है, पर इस उम्र में लापरवाही भी खूब होती है । स्वस्थ खानपान और उचित मात्रा में कैलोरी लें, तो आप तन-मन दोनों से स्वस्थ रहेंगी। यह उम्र आगे शादी के बाद मां बनने का आधार तैयार करता है । मासिक धर्म में अनियमितता के कारण सेहत से जुड़ी कुछ चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं।

क्या करें?

  • आहार में प्रोटीन, कार्ब व वसा को सही और संतुलित रखें ।
  • अनाज, हरी सब्जियां, दुग्ध उत्पादव मौसमी फल, मछली, अंडे आदि को भोजन में शामिल करें।
  • प्रोसेस्ड, रिफाइंड और अधिक तले-भुने भोजन से दूरी बनाएं।
  • सभी प्रकार के विटामिंस, सूक्ष्म पोषक तत्वों, कैल्शियम, आयरन आदि का कमी न होने पाए।
  • आयरन और कैल्शियम एक संगत में मिलता है, यानी यदि प्रोटीन कम है तो आयरन का अवशोषण भी कम
  • होगा। दोनों को संतुलित रखें।
  • वर्कआउट और कसरत से मांसपेशियों और हड्डियों की सेहत अच्छी होगी।
  • 25 वर्ष की उम्र में स्तन कैंसर, ओवेरियन कैंसर की जांच एक बार जरूर करा लेना चाहिए।
  • सप्ताह में कम से कम 150 मिनट मध्यम तीव्रता का व्यायाम करने का प्रयास करें।
  • पैदल चलना, नृत्य, तैराकी या कोई किसी अन्य खेल में अवश्य भाग लें। • उचित आराम व नींद के साथ मन की सेहत को भी प्राथमिकता दें।

30 की चुनौती : व्यस्तता के साथ बिठाएं संतुलन

इस उम्र में घर की जिम्मेदारियां अधिक होती हैं। बच्चे और करियर का भी ध्यान रखना होता है। गर्भधारण करने की योजना है तो खानपान को लेकर सजगता अधिक रखनी पड़ती है। इस उम्र में आपको सही खानपान के साथ वर्कआउट का भी ध्यान रखना है ।

क्या करें?

  • मां बनने का निर्णय लेती हैं तो आपको हर ट्राइमेस्टर में पोषक तत्वों के प्रबंधन पर गंभीरता से ध्यान देना है।
  • डिलीवरी के बाद वजन बढ़ना एक आम चुनौती है। आहार प्रबंधन के साथ वजन नियंत्रण का प्रयास करें।
  • लैक्टेशन यानी स्तनपान कराने की अवधि में पोषण का विशेष ध्यान रखना है। सेहत की अनदेखी करने से आगे परेशानी बढ़ सकती है।
  • गर्भधारण के दौरान टहलना, कुछ क्या करें सरल व्यायाम करती रहें।
  • वजन अधिक है तो इस पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेकर योजना बनाएं।
  • यदि परिवार में मधुमेह, उच्च रक्तचाप आदि की समस्या है तो इसकी जांच अवश्य करालें ।
  • बच्चे के जन्म से पूर्व के रुटीन में आने के लिए जो प्रयास करना हो, विशेषज्ञ की सलाह से ही करें।
  • अगर इन्फर्टिलिटी की चुनौती से जूझ रही हैं तो इसमें आप अकेली नहीं हैं यह सोचकर अपना ध्यान रखें।
  • हड्डियों, हृदय के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम, विटामिन डी व फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को भोजन में शामिल करें।
  • अनियमित मासिक धर्म, पैल्विक दर्द अनदेखा न करें।
  • स्वस्थ आदतें अपनाएं। अल्कोहल, धूमपान या बाजार में उपलब्ध पूरक दवाइयों से बचें। दवाओं का सेवन बिना विशेषज्ञ की सलाह के सेवन ना करें।

40 की चुनौती : दूसरी पारी की हो मजबूत तैयारी

परिवार में बच्चे किशोर या वयस्क हो रहे होते हैं। उन्हें लेकर चिंताएं व व्यस्तता होती है । कामकाजी हैं, तो आपके ऊपर दोहरा दबाव बना रहता है। ऐसे में सेहत की अनदेखी हो रही है तो मधुमेह, रक्तचाव के साथ कैंसर जैसे जोखिम का खतरा मंडरा सकता है। यह उम्र मेनोपोज की तरफ बढ़ने का भी है। शरीर में कैल्शियम तेजी से क्षीण हो रहा होता है । उचित खानपान के साथ यदि कसरत, सक्रियता की कमी है तो मेनोपोजल आर्थराइटिस का जोखिम बढ़ जाता है।

क्या करें?

  • कैल्शियम और विटामिन-डी की अनदेखी ना करें।
  • फाइटोएस्ट्रोजन युक्त खाद्य पदार्थ (सोया, अलसी, फलियां) और ओमेगा-3 (मछली, अखरोट ) लेना सुनिश्चित करें ताकि प्रीमेनोपोज के लक्षण कम परेशान करें। इससे हृदय को बेहतर रखने में मदद मिल सकती है।
  • रक्तचाप नियंत्रित रखें, इसके लिए सोडियम और प्रसंस्करित खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करना है।
  • सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग के साथ मधुमेह और कोलेस्ट्राल की जांच कराते रहें ।
  • पेल्विक समस्याएं, यूरिन असंयम को हल्के में न लें। नियमित व्यायाम (कार्डियो, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग) करें। अच्छी नींद लें, ताकि ताजगी महसूस कर सकें।
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