Advertisement
HomeNationalपूर्वोत्तर भारत में हर 5 में से 1 पुरुष को कैंसर का...

पूर्वोत्तर भारत में हर 5 में से 1 पुरुष को कैंसर का खतरा! नई स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

 भारत में कैंसर अब सिर्फ स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि एक बड़ी चुनौती बन चुका है। हर साल लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं और हजारों की जान चली जाती है। हाल ही में सामने आए एक अध्ययन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि देश के पूर्वोत्तर राज्यों में कैंसर के मामले सबसे तेजी से बढ़ रहे हैं। खास बात यह है कि यहां कैंसर के रोगियों का अनुपात देश के बाकी हिस्सों की तुलना में कहीं अधिक है।

अध्ययन से सामने आए चौंकाने वाले तथ्य

2015 से 2019 के बीच किए गए एक व्यापक अध्ययन में 43 कैंसर रजिस्ट्री (Population-Based Cancer Registries – PBCRs) के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। इस दौरान देशभर में 7.08 लाख कैंसर के नए मामले और 2.06 लाख मौतें दर्ज की गईं।

  • कुल मरीजों में महिलाओं की हिस्सेदारी 51.1% रही, लेकिन मौतों के मामले में पुरुषों का अनुपात (55%) ज्यादा था।
  • कैंसर से मरने वालों में महिलाओं का अनुपात 45% रहा।
  • यानी, महिलाओं में कैंसर के मामले ज्यादा पाए गए, जबकि पुरुषों में मृत्यु दर अधिक रही।

पूर्वोत्तर भारत पर क्यों मंडरा रहा खतरा?

  • अध्ययन से पता चला कि मिजोरम, आइजोल, पापुमपारे, कामरूप शहरी और पूर्वी खासी हिल्स जैसे क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
  • मिजोरम के पुरुषों में कैंसर का जीवनकाल जोखिम 21.1% है। यानी वहां हर 5 में से 1 पुरुष को जीवनकाल में कैंसर होने की संभावना है।
  • वहीं, मिजोरम की महिलाओं में यह जोखिम 18.9% है, जो राष्ट्रीय औसत (11%) से कहीं अधिक है।
  • खास तौर पर आइजोल में पुरुषों और महिलाओं- दोनों में कैंसर के मामलों की दर (Age Adjusted Incidence Rate – AAIR) सबसे ज्यादा दर्ज की गई।

पुरुषों और महिलाओं में कौन-से कैंसर ज्यादा आम?

अध्ययन के मुताबिक, पुरुषों और महिलाओं में कैंसर के प्रकार भी अलग-अलग पाए गए।

  • पुरुषों में: मुख कैंसर, फेफड़े का कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर सबसे ज्यादा पाए गए।
  • महिलाओं में: स्तन कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल कैंसर) और डिंबग्रंथि (ओवरी) कैंसर सबसे आम रहे।

दिलचस्प बात यह है कि अगर हम बड़े शहरों की बात करें, तो दिल्ली में पुरुषों के लिए कैंसर की दर सबसे अधिक पाई गई।

क्यों बढ़ रहे हैं कैंसर के मामले?

विशेषज्ञ मानते हैं कि पूर्वोत्तर भारत में कैंसर की बढ़ती दर कई वजहों से जुड़ी हो सकती है। इनमें से कुछ प्रमुख कारण हैं-

लाइफस्टाइल और खानपान की आदतें

तंबाकू, धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन यहां आम है। यह सीधे तौर पर फेफड़ों और मुख कैंसर का कारण बनता है।

भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियां

पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित होने के कारण समय पर जांच और इलाज मुश्किल हो जाता है।

जागरूकता की कमी

महिलाओं में स्तन और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर जैसे रोगों के शुरुआती लक्षणों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।

आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक

कई शोध बताते हैं कि पूर्वोत्तर भारत की जलवायु और खानपान में मौजूद कुछ विशेष तत्व भी कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं।

क्या है समाधान?

कैंसर से लड़ने के लिए सिर्फ इलाज ही नहीं, बल्कि रोकथाम और जागरूकता भी उतनी ही जरूरी है। इसके लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं:

  • तंबाकू और शराब का सेवन कम करना।
  • नियमित स्वास्थ्य जांच कराना, खासकर 30 वर्ष की आयु के बाद।
  • महिलाओं में स्तन और सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग को बढ़ावा देना।
  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाना- संतुलित आहार, व्यायाम और योग से प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना।
  • सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं को ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों तक पहुंचाना।

अध्ययन ने साफ कर दिया है कि कैंसर सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि भारत के लिए बढ़ती स्वास्थ्य आपदा है। पूर्वोत्तर भारत में यह खतरा कहीं अधिक गंभीर रूप ले चुका है। अगर समय रहते लोगों को जागरूक नहीं किया गया और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले समय में हालात और बिगड़ सकते हैं।

कैंसर का सबसे बड़ा हथियार है समय पर पहचान और रोकथाम। इसलिए जरूरी है कि लोग अपने स्वास्थ्य को गंभीरता से लें और छोटे-छोटे लक्षणों को भी अनदेखा न करें।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments