देश भर में कोरोना के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। पिछले 15 दिनों में कोविड के सक्रिय मामलों में 20 गुना की बढ़ोतरी देखने को मिली है। देश में सक्रिय कोविड मामलों की संख्या 5,000 के पार हो गई है। पिछले 24 घंटों में चार लोगों की जान गई है।
देश में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य केरल बना हुआ है। इसके बाद गुजरात, पश्चिम बंगाल और दिल्ली का स्थान है। देश भर में कोरोना के कुल सक्रिय मामले 5,364 हो गए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 समय के साथ कमजोर होता जा रहा है, लेकिन चूंकि यह वायरस अब स्थायी (एंडेमिक) हो चुका है और लगातार विकसित हो रहा है, इसलिए समय-समय पर मामलों में उछाल देखने को मिल सकता है।
उनका कहना है कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है। देश के विभिन्न हिस्सों में कोविड के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए विशेषज्ञों ने बताया कि यह कमजोर होती इम्यूनिटी और मौसमी कारकों जैसे तापमान में उतार-चढ़ाव का नतीजा हो सकता है, जो हमें एयर-कंडीशन्ड जगहों पर ज्यादा समय बिताने के लिए मजबूर करता है।
ग्लोबल हेल्थ विशेषज्ञ डॉ. चंद्रकांत लहरिया ने पीटीआई को बताया, “हर गुजरते साल के साथ कोविड-19 का संक्रमण हल्का होता जा रहा है। अब यह बस एक सामान्य श्वसन रोग है और फ्लू से भी कम खतरनाक है। कोविड को खास बीमारी मानने की जरूरत नहीं, यह चिंता का विषय नहीं है।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मई 2023 में कोविड-19 को ‘पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी’ से मुक्त कर दिया था। विशेषज्ञों ने इसे ‘मौसमी’ और ‘स्थायी’ बीमारी के कैटेगरी, जो अब कुछ क्षेत्रों तक सीमित है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 6 जून तक देश में सक्रिय मामले 5,364 से अधिक हो गए हैं।
पिछले 24 घंटों में लगभग 500 नए मामले सामने आए हैं।
इनमें से 4,724 से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं।
इस साल जनवरी से शुरू हुए मौजूदा उछाल में 55 लोगों की मौत हुई।
डॉ. लहरिया ने कहा, “पहले से बीमार लोग और 65 साल से अधिक उम्र के लोग सामान्य सावधानी बरतें, जैसा वे किसी अन्य श्वसन रोग के लिए करते हैं। यह सावधानी सिर्फ कोविड के लिए नहीं, बल्कि सभी श्वसन संक्रमणों के लिए जरूरी है।”
भारत में मामलों का यह उछाल दक्षिण-पूर्व एशिया के अन्य हिस्सों जैसे सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड और हांगकांग में देखी जा रही लहर का हिस्सा है। पुणे में काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-नेशनल केमिकल लेबोरेटरी (CSIR-NCL) की वेस्टवाटर निगरानी में 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स के नमूनों में SARS-CoV-2 वायरस की मौजूदगी पाई गई। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पैटर्न पहले के उछाल से पहले देखे गए पैटर्न जैसा है।
भारत के पश्चिम और दक्षिण में नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग से पता चला कि मामले ओमिक्रॉन के सबवेरिएंट्स LF.7, XFG, JN.1 और NB.1.8.1 से जुड़े हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के डायरेक्टर जनरल राजीव बहल ने कहा कि मामले गंभीर नहीं हैं और चिंता की कोई बात नहीं है। WHO ने LF.7 और NB.1.8.1 को ‘वेरिएंट्स अंडर मॉनिटरिंग’ (VUM) के रूप में वर्गीकृत किया है, जिसका मतलब है कि इन पर नजर रखने की जरूरत है।
इम्यूनोलॉजिस्ट सत्यजीत रथ ने बताया कि मौजूदा सबवेरिएंट्स की संक्रामकता (इन्फेक्टिविटी) ज्यादा है, क्योंकि ये मानव कोशिकाओं से बेहतर तरीके से जुड़ सकते हैं, भले ही पहले के संक्रमण या वैक्सीन से बनी एंटीबॉडीज मौजूद हों। लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि इनका ‘विरुलेंस’ यानी गंभीर बीमारी पैदा करने की क्षमता कम है। रथ ने कहा, “वायरस की चयन प्रक्रिया संक्रामकता और प्रसार पर निर्भर करती है, न कि गंभीरता पर। इसलिए नए वेरिएंट्स की गंभीरता बढ़ने की कोई वजह नहीं है, और ऐसा देखा भी नहीं गया।”
विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि कोविड-19 का वायरस अब स्थायी है और लगातार म्यूटेट कर रहा है, इसलिए मामलों में उतार-चढ़ाव स्वाभाविक है। अनुराग अग्रवाल ने कहा, “जब तक कोई नया ‘वेरिएंट ऑफ कन्सर्न’ नहीं आता, तब तक लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं। VUM केवल स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए प्रासंगिक है, आम जनता के लिए नहीं।”
डॉ. लहरिया ने सलाह दी कि लोग भरोसेमंद स्रोतों से जानकारी लें और बिना पुष्टि के संदेशों को आगे न बढ़ाएं। वहीं, सत्यजीत रथ ने सुझाव दिया कि लोग नए उभरते वेरिएंट्स की गंभीरता पर नजर रखें।
विशेषज्ञों ने अधिकारियों की भूमिका पर भी जोर दिया। लहरिया ने कहा, “राष्ट्रीय और राज्य सरकारों को मामलों पर नजर रखनी चाहिए, नए मामलों के रुझान की निगरानी करनी चाहिए और डेटा को व्यापक रूप से साझा करना चाहिए।”