HomeEntertainmentबॉलीवुड में 8 घंटे की शिफ्ट पर घमासान, Deepika Padukone की मांग...

बॉलीवुड में 8 घंटे की शिफ्ट पर घमासान, Deepika Padukone की मांग कितनी जायज?

संदीप रेड्डी वांगा के निर्देशन में बनने वाली फिल्म स्पिरिट से दीपिका पादुकोण के अलग होने के बाद आठ घंटे की शिफ्ट को लेकर नई चर्चा शुरू हो गई है। दरअसल, पिछले साल मां बनीं दीपिका ने स्पिरिट में काम करने के लिए आठ घंटे की शिफ्ट करने की मांग की, जिसे फिल्म निर्माता ने कथित तौर पर अस्वीकार कर दिया। वहीं पिछले साल मां बनी राधिका आप्टे ने भी कहा था कि इंडस्ट्री कामकाजी मांओं के लिए अनुकूल नहीं है। इस पर फिल्मकारों की अलग-अलग राय है।

Advertisements

सबके हित सोचने होंगे

ओएमजी 2 के निर्देशक अमित राय कहते हैं कि किसी भी इंडस्ट्री के कुछ मानक होते हैं। कर्मचारियों को उसके अनुसार सुविधाएं मिलती हैं। क्यों नहीं हम इसे सिर्फ फिल्म बिजनेस कहते हैं। आप आज सिर्फ आठ घंटे शिफ्ट की मांग कर रहे हैं, बाकी चीजों की बात कौन करेगा? माफी चाहूंगा लेकिन अगर आप हीरो या हीरोइन हैं तो आपके साथ एक फौज आएगी जो आपको तैयार करेगी। क्या वो पांच मिनट में आपको शॉट के लिए तैयार कर देते हैं? फिर लाइट वाला बोलेगा कि मुझे ठीक नहीं लग रहा है। यह कला का क्षेत्र है। यहां पर आप अपनी इच्छा से आए हैं। किसी ने आपके साथ जोर जबरदस्ती नहीं की है। काम के वातावरण की बात हो सकती है कि महिलाओं को सुरक्षा मिले, सम्मान मिले।लाइटमैन को जूते, ड्रेस दीजिए। इन मानकों की बात कीजिए। मैं सेट पर कभी यह सोचकर नहीं जाता हूं कि पैकअप कब होगा। बहुत सारा पैसा किसी के सपने पर लगाया जा रहा है। अभी पहाड़ से हेलिकाप्टर टकराने का शॉट लेना है। उसकी तैयारियां की गई हैं, शॉट हो गया। फिर एकाएक घोषणा होगी कि आपकी आठ घंटे की शिफ्ट हो गई, यह शॉट कल फिर से होगा। फिर से कल उतना पैसा खर्च होगा? अगर सबको आठ घंटा दिया जाएगा तो असल शूटिंग चार घंटे की ही होगी, क्योंकि बहुत सारा समय लाइटिंग, ड्रेसिंग और सेटिंग में जाता है। जो पर्दे के पीछे काम करते हैं, उनके बारे में तो सोचिए।

Advertisements

पेशेवर रवैया रखना होगा

अभिनेता और कास्टिंग डायरेक्टर अभिषेक बनर्जी इस संबंध में कहते हैं कि जब पांच सौ लोग सेट पर साथ काम कर रहे होते हैं तो आपको पेशेवर दृष्टिकोण अपनाना होगा। फिल्म की शूटिंग को लेकर योजना तैयार होनी चाहिए। अगर सुबह छह बजे से लेकर शाम छह बजे की शिफ्ट में काम हो रहा है तो 12 घंटे जरूर हैं, लेकिन कोई भी कलाकार पूरे समय लगातार काम नहीं कर रहा है। आपको उन 12 घंटों में उतना ही काम करना होता है, जितना जरूरी और व्यावहारिक रूप से संभव है। यह मुख्य सह निर्देशक का उत्तरदायित्व होता है कि काम तय समय में खत्म हो जाए। मैं कभी निर्देशक या निर्माता को नहीं पूछता हूं कि कितनी देर काम करना है।

अगर किसी कलाकार को लगता है कि वह शेड्यूल या शिफ्ट अव्यावहारिक है तो वह बात कर सकते हैं। ये बात सह निर्देशक को ध्यान में रखनी चाहिए कि कलाकार ने समय दे दिया है तो आप उसका सम्मान करें। ये नहीं होना चाहिए कि उस दिन में एक-दो सीन एक्स्ट्रा बढ़ाए जा रहे हों। अगर ऐसा हुआ तो हर कोई शिकायत करेगा। अपनी बात करूं तो मुझे 12 घंटों की शिफ्ट वाला नियम पसंद है। मुझे लगता है कि इसके ऊपर शूटिंग नहीं होनी चाहिए, क्योंकि उसके बाद दिमाग भी नहीं चलता है। बाकी सेटअप पर निर्भर करता है कि आप किसके साथ काम कर रहे हैं, उनकी जरूरतें क्या हैं।

समन्वय से बनेगी बात

स्टोलन फिल्म का निर्माण और लेखन करने वाले गौरव ढींगरा इससे पहले एंग्री इंडियन गाडसेस फिल्म बना चुके हैं। गौरव कहते हैं कि महिलाओं की सुविधा को ध्यान में रखा जाना चाहिए। अपने सेट पर मैं ऐसा ही करता हूं। सच कहूं, तो ज्यादातर कलाकार समय को लेकर कम ही सोचते हैं। जब सेट पर आते हैं तो मन में एक ही ख्याल होता है कि अच्छी फिल्म बनानी है। फिर चाहे समय आठ से 10 या 12 घंटे हो जाए। जब छुट्टी लेनी होती है तो छुट्टी दी जाती है। बाकी आपकी फिल्म का सेटअप, क्रू कितना बड़ा या छोटा है, उससे भी फर्क पड़ता है।

संतुलन बनाकर चलने का प्रयास होता है, पर यह बात भी सच है कि अगर आपको दिन के शॉट लेने हैं या देर शाम के शाॉ लेने हैं और उसमें उस कलाकार की जरूरत है तो उसे शिफ्ट में कैसे फिट किया जा सकता है। हालांकि ऐसा रोज नहीं होता है। क्रिएटिव फील्ड में कई बार समय में बंधना संभव नहीं होता है। यहां जेंडर की बात नहीं है, अब जैसे स्टोलन के सेट पर एक कलाकार को दो दिनों के लिए किसी और शूटिंग पर जाना था तो हमने शूटिंग रोकी और उन्हें जाने दिया। उस बीच हमने अपने दूसरे काम कर लिए। किसी की तबीयत खराब है तो उस कलाकार के हिसाब से शूटिंग भी एडजस्ट करनी पड़ती है।

Advertisements

उचित है यह मांग

अभिनेता अजय देवगन आठ घंटे की शिफ्ट की मांग का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि कई ईमानदार फिल्मकार हैं, जिन्हें इससे दिक्कत नहीं है। कई लोगों ने आठ से नौ घंटे की शिफ्ट में काम करना शुरू भी कर दिया है। मुझे लगता है कि यह हर व्यक्ति पर निर्भर करता है। आजकल इंडस्ट्री के ज्यादातर लोग इसे समझते हैं।

 

Advertisements
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments