दिल्ली में कपड़ा कारोबारियों के बीच डील हुई। डील के तहत एक कारोबारी ने दूसरे कारोबारी को कपड़ा बेचा। मगर कपड़ा बेचने वाले कारोबारी ने दावा किया कि उसे 15 लाख रुपये के कपड़े की एवज में सिर्फ एक लाख रुपये ही दिए। एक 14 लाख रुपये का चेक दिया, जो बाउंस हो गया। इसके बाद पीड़ित ने कोर्ट में केस किया। कड़कड़डूमा कोर्ट में मामले की सुनाई शुरू हुई तो पीड़ित अपने दावों को सही साबित करने में असमर्थ रहा। मामले में टर्निंग पॉइंट तब आया, जब एक बैंक मैनेजर ने कोर्ट में आकर इस बात की पुष्टि की कि 14 लाख रुपये के चेक पर जो साइन हैं वो फर्जी हैं। अकाउंट होल्डर यानी आरोपी के नहीं हैं। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में आरोपी को बरी कर दिया है।
इस पूरे मामले में आरोपी का केस लड़ रहे एडवोकेट मनीष भदौरिया ने बताया, उनके मुवक्किल कपड़ा कारोबारी हैं। साल 2018 में उन्होंने एक दूसरे कारोबारी से कपड़ा खरीदा था। कपड़े के एक लाख रुपये उन्होंने अपने भाई के अकाउंट से ट्रांसफर भी कर दिए थे। उधर, केस करने वाले कारोबारी ने दावा किया कि आरोपी ने 15 लाख 6 हजार 10 रुपये का कपड़ा लिया था। 15 लाख पर बिल सेटलमेंट हुआ। एक लाख अकाउंट में दिए गए।