कोई गांव ओडीएफ प्लस मॉडल का दर्जा कैसे हासिल कर सकता है
1,200 से अधिक पंजीकृत बायोगैस संयंत्र मौजूद
प्लास्टिक कचरा स्वच्छता की दिशा में बड़ी बाधा
प्लास्टिक कचरा स्वच्छता की दिशा में बड़ी बाधा है। हरियाणा के करनाल जिले की सुमन डांगी ने इससे निपटने के लिए अनोखी पहल की है। वह 500 ग्राम साफ और रिसाइकिल करने लायक कचरा लाने वाले लोगों को गर्मा-गर्म खाना खिलाती हैं।
मेरा प्लास्टिक, मेरी जिम्मेदारी पहल की शुरुआत
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के ऊंचाडीह गांव में भी स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए ऐसी ही अनोखी पहल चलाई जा रही है। वहां महिलाएं प्लास्टिक प्रदूषण और मासिक धर्म स्वच्छता जैसी चीजों पर एक साथ काम करने की कोशिश कर रही हैं। मेरा प्लास्टिक, मेरी जिम्मेदारी पहल के तहत ऊंचाडीह ग्राम पंचायत की महिलाओं को दो किलोग्राम प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने पर सैनिटरी पैड का एक पैकेट उपलब्ध कराया जा रहा है।
ग्राम प्रधान अर्चना त्रिपाठी ने शुरू की पहल
ग्राम प्रधान अर्चना त्रिपाठी की ओर से शुरू की गई इस पहल को स्वास्थ्यकर्मियों से लेकर शिक्षकों तक का समर्थन मिल रहा है, जो महिलाओं और लड़कियों को प्लास्टिक कचरा जुटाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
ओडीएफ प्लस मॉडल का दर्जा हासिल कर चुका सिरासू
ओडीएफ प्लस मॉडल का दर्जा हासिल कर चुका सिरासू पर्यटन के जरिये अपने स्वच्छता अभियान के लिए धन एकत्र करता है। स्थानीय पंचायत साल 2018 से विवाह-पूर्व फोटो शूट के लिए 1,000 रुपये शुल्क लेती है। वह टेंट और लाइट जैसे उपकरण भी किराये पर देती है।
पर्यटक बुनियादी ढांचे में सुधार
इससे उसे पिछले सात वर्षों में लगभग 50 लाख रुपये अर्जित करने में मदद मिली है। उक्त राशि का इस्तेमाल शौचालयों के रखरखाव, प्लास्टिक कचरा संग्रह केंद्र के संचालन और पर्यटक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए किया जा रहा है।