Mark Carney Oath: मार्क कार्नी कनाडा के 24वें प्रधानमंत्री बनने वाले हैं। इसी बीच उनके शपथ ग्रहण को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है कि कार्नी कनाडा के पीएम के तौर पर शुक्रवार को शपथ ले सकते है।
Mark Carney Oath: जस्टिन ट्रूडो के स्थान पर कनाडा के अगले प्रधानमंत्री बने मार्क कार्नी के शपथ ग्रहण को लेकर बड़ी अपडेट सामने आ रही है। रिपोर्ट की माने तो कानाडा के 24वें प्रधानमंत्री के तौर पर लिबरल पार्टी के नेता मार्क कार्नी शुक्रवार को शपथ ले सकते हैं। उन्होंने रविवार को लिबरल पार्टी के नेता के रूप में जीत हासिल की थी। मामले में कनाडा की गवर्नर जनरल मैरी साइमन के कार्यालय ने बताया कि शपथ ग्रहण समारोह राइड्यू हॉल बॉलरूम में सुबह 11 बजे (ईडीटी) होगा।
मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रूडो शुक्रवार को गवर्नर जनरल से मिलकर आधिकारिक रूप से अपना इस्तीफा दे सकते है। इसके बाद कार्नी शपथ ग्रहण करेंगे। साथ ही वे अपने नए मंत्रीमंडल का एलान भी कर सकते हैं।
अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच कार्नी के इरादे साफ
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति जहां एक ओर कनाडा के लिए टेंशन बना हुआ है। दूसरी ओर बीते दिनों ट्रंप के कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने वाला बयान भी चर्चा में रहा। इस बात पर मार्क कार्नी ने कनाडा के अगले प्रधानमंत्री के रूप में नामित होती ही इरादे साफ कर दिए थे और ट्रंप को करारा जवाब दिया।
कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने के ट्रंप के बयान के जवाब में कार्नी ने कहा था कि अमेरिका कनाडा नहीं है। कनाडा कभी भी किसी भी तरह, आकार या रूप में अमेरिका का हिस्सा नहीं होगा। उन्होंने ये भी कहा था कि अमेरिका कनाडा के लोगों के संसाधन, जल, जमीन और देश पर कब्जा करना चाहता है। अगर वे सफल हो गए, तो वे हमारी जीवन शैली को नष्ट कर देंगे।
कौन है मार्क कार्नी, एक नजर
चलिए अब कनाडा के प्रधानमंत्री मार्की कार्नी के बारे में कुछ रोचक बातों पर प्रकाश डालते है। कनाडा में लिबरल पार्टी के नेता और बैंक ऑफ इंग्लैंड के पूर्व गवर्नर मार्क कार्नी 59 वर्ष की आयु में एक स्थिर और प्रभावशाली नेता के रूप में उभरे हैं। 2008 के वित्तीय संकट के दौरान उनके नेतृत्व ने कनाडा को अन्य देशों की तुलना में बेहतर तरीके से इस आर्थिक तूफान से उबारने में मदद की, जिसके कारण उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी प्रशंसा मिली। उनका प्रमुख योगदान यह था कि उन्होंने ब्याज दरों पर स्पष्ट मार्गदर्शन दिया, जिससे व्यवसायों और परिवारों को आश्वस्त किया गया। इसके अलावा, उन्होंने जटिल वित्तीय नीतियों को सरल भाषा में समझाया, जिससे उन्हें अर्थशास्त्रियों के बीच विश्वसनीयता प्राप्त हुई।