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UP: पुरानी है विधायक और BJP जिला पंचायत अध्यक्ष की सियासी अदावत, नोकझोंक से पार्टी असहज, जमकर हुई तकरार; Video

भाजपा के कुंदरकी विधायक और जिला पंचायत अध्यक्ष की सियासी अदावत पुरानी है। दोनों के बीच सियासी करीब दस साल से दोनों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता चल रही है। यह पहला मौका था, जब दोनों खुलकर आमने-सामने आ गए।
मुरादाबाद के सर्किट हाउस में शुक्रवार को जिला पंचायत की बोर्ड बैठक में कुंदरकी विधायक रामवीर सिंह और जिला पंचायत अध्यक्ष डाॅ. शैफाली सिंह के बीच हुई नोकझोंक ने पार्टी को असहज कर दिया है।

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इस मुद्दे पर भाजपा पदाधिकारी भले ही कुछ भी बोलने से बच रहे हो, लेकिन पार्टी के भीतर इसकी खूब चर्चाएं चल रही हैं। वैसे दोनों नेताओं के बीच विवाद नया नहीं है। उनके बीच सियासी अदावत पुरानी है। करीब दस साल से दोनों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता चल रही है।

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यह पहला मौका था, जब दोनों खुलकर आमने-सामने आ गए। दोनों नेताओं के बीच हुई तकरार के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले इन नेताओं के बीच पर्दे के पीछे लंबे समय से रस्साकशी चल रही है।

चाहे कुंदरकी विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी की बात हो या फिर जिला पंचायत अध्यक्ष पद की कुर्सी की। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कुंदरकी सीट से रामवीर सिंह और डॉ. शैफाली सिंह ने टिकट की दावेदारी पेश की थी, लेकिन टिकट रामवीर सिंह के हाथ लगा।

इस पर डॉ. शैफाली सिंह ने बैठक कर टिकट बंटवारे में मनमानी का आरोप लगाया था। हालांकि, चुनाव में रामवीर की हार हुई थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी दोनों ने दावेदारी पेश की, लेकिन दोनों की लड़ाई में पार्टी ने टिकट कमल प्रजापति को दे दिया। हालांकि, इसके बावजूद कुंदरकी में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।

जियाउर्रहमान बर्क के सांसद बनने पर खाली हुई कुंदरकी सीट पर 2024 में उपचुनाव हुए। टिकट के लिए दोनों नेता फिर आमने-सामने आ गए। दोनों ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया, लेकिन सफलता रामवीर सिंह के हाथ लगी। टिकट पाने के बाद रामवीर सिंह रिकाॅर्ड मतों से चुनाव जीतकर विधायक भी बन गए।

पंचायत चुनाव से हुई राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की शुरुआत
कुंदरकी विधायक और जिला पंचायत अध्यक्ष के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की शुरुआत 2015 में पंचायत चुनाव से हुई थी। वार्ड नंबर 45 से जिला पंचायत सदस्य पद के लिए डॉ. शैफाली सिंह ने प्रत्याशी आंचल चौहान का समर्थन किया था।

इसी वार्ड से प्रत्याशी रहे विवेक चौहान के समर्थन में रामवीर सिंह उतर आए। इस सीट से पार्टी ने उम्मीदवार नहीं उतारा था। चुनाव में रामवीर सिंह समर्थित विवेक चौहान को जीत मिली, जबकि आंचल चौहान को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद से दोनों नेताओं में सियासी अदावत शुरू हो गई थी।

जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर थी दोनों की नजर
2021 के पंचायत चुनाव में भी दोनों नेताओं की नजर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर थी। डॉ. शैफाली सिंह वार्ड 21 से चुनाव मैदान में थीं, जबकि रामवीर सिंह की पत्नी संतोष देवी वार्ड 31 से चुनाव लड़ीं। चुनाव जीतने के बाद दोनों ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी पेश की। इस बार टिकट डॉ. शैफाली सिंह के हाथ लगा। वह निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गईं।

यह था मामला
सर्किट हाउस में जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. शैफाली सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई बोर्ड बैठक में कुंदरकी विधायक रामवीर सिंह ने अनुपस्थित अधिकारियों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास करने के लिए कहा। साथ ही उन्होंने अपनी पत्नी (जिला पंचायत सदस्य) के वार्ड 31 में किसी अन्य व्यक्ति के प्रस्ताव पर कार्य कराने की शिकायत दर्ज कराई।

इस पर अपर मुख्य अधिकारी ने बताया कि उनके क्षेत्र में भाजपा के मंडल अध्यक्ष के प्रस्ताव पर कार्य कराए जा रहे हैं। इस जवाब पर विधायक भड़क गए और नाराजगी जताने लगे। इसी बात पर जिला पंचायत अध्यक्ष ने एतराज जताया। इसके बाद दोनों के बीच नोकझोंक होने लगी। एमएलसी डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त ने हस्तक्षेप कर मामला शांत कराया था।

सर्किट हाउस की घटना के बारे में जानकारी नहीं मिली है। इस बारे में पार्टी पदाधिकारियों से जानकारी ली जाएगी। – भूपेंद्र चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा

मीडियो के जरिये विवाद की जानकारी मिली है। जिला पंचायत अध्यक्ष और विधायक का आपसी मामला है। इस बारे में ज्यादा बोलना ठीक नहीं है।
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