पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन और उगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी के साथ टेलीफोन पर बातचीत की। दोनों नेताओं ने COVID19 महामारी की वजह से वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों के सामने चुनौती, वर्तमान आर्थिक स्थिति और महामारी से निपटने के लिए अपने देशों में उठाए गए कदमों की जानकारी साझा की।
कोरोना वायरस महामारी के विश्वव्यापी संकट के दौर में पीएम नरेंद्र मोदी विश्व के अलग-अलग नेताओं से बात कर रहे हैं। इस कड़ी में पिछले मंगलवार को ओमान के सुल्तान और स्वीडन के प्रधानमंत्री से बात की है और उन्हें भी हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया। असलियत में पीएम नरेंद्र मोदी एकमात्र ऐसे वैश्विक नेता हैं जो इस संकट के काल में लगातार दूसरे देशों के प्रमुखों के साथ संपर्क में हैं और उन्हें मदद भी देने का आश्वासन दे रहे हैं।
दक्षिण कोरिया ने जिस तरह से कोरोना वायरस के प्रसार पर रोक लगाई है, उसकी पूरी दुनिया में प्रशंसा हो रही है। दक्षिण कोरिया ने कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए वहां की सरकार ने ट्रिपल टी फार्मूले पर काम किया। इसमें पहले मरीज की पहचान फिर उसकी जांच और फिर इलाज शामिल था।
अंग्रेजी में कहें तो इसको Trace-Test-Treat कहा जाएगा। यहां पर इसका पहला मामला 20 जनवरी को सामने आया था। एक महिला को जांच के बाद इस वायरस से संक्रमित पाया गया था। ये महिला कुछ समय पहले ही वुहान से वापस आई थी। इसके बाद यहां पर बड़ी तेजी से कोरोना वायरस के मामले बढ़ गए थे।
दरअसल, जो महिला वुहान से वापस लौटी थी उसने इस चर्च की प्रार्थना सभा में हिस्सा लिया था। इसके बाद यहां शामिल हुए ज्यादातर लोग इसकी चपेट में आ गए थे। मामला सामने आते ही और मरीज की लोकेशन ट्रेस होते ही प्रशासन ने सबसे पहले इस चर्च के सभी दो लाख सदस्यों की सूची हासिल की।
इसके बाद इन सभी की जांच की गई भले ही उस दिन वो व्यक्ति चर्च में गया था या नहीं। इस दौरान सभी को क्वारंटाइन किया गया। जो इस जांच के बाद संक्रमित पाए गए उनका पूरा इलाज किया गया।