केंद्र सरकार ने विजया किशोर रहाटकर को राष्ट्रीय महिला आयोग का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। विजया किशोर रहाटकर को रेखा शर्मा के स्थान पर राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) का नौवां अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 की धारा के तहत की गई नियुक्ति तीन साल के लिए है। रहाटकर का कार्यकाल जल्द शुरू हो जाएगा और यह एलान भारत के गजट में प्रकाशित की जाएगी।
अर्चना मजूमदार को भी किया नामित
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय जारी एक अधिसूचना के अनुसार, रहाटकर की नियुक्ति के अलावा, अर्चना मजूमदार को आधिकारिक तौर पर तीन साल के कार्यकाल के लिए एनसीडब्ल्यू का सदस्य नामित किया गया है।
एनसीडब्ल्यू, एक वैधानिक निकाय, महिलाओं के अधिकारों की प्रगति की दिशा में काम करने के लिए सशक्त है। इसमें महिलाओं के लिए प्रदान किए गए संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा उपायों की समीक्षा करना शामिल है।
राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में रहाटकर का बड़ा योगदान
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान के अनुसार, रहाटकर ने विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक जिम्मेदारियों में नेतृत्व कौशल का प्रदर्शन किया है। महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग (2016-2021) के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने “सक्षम” (एसिड अटैक सर्वाइवर्स के लिए सहायता), “प्रज्वला” (स्वयं सहायता समूहों को केंद्र सरकार की योजनाओं से जोड़ना) “सुहिता” (महिलाओं के लिए 24×7 हेल्पलाइन सेवा) जैसी पहल का नेतृत्व किया।
उन्होंने यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा (POCSO), तीन तलाक विरोधी कोशिकाओं और मानव तस्करी विरोधी इकाइयों जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कानूनी सुधारों पर भी काम किया। रहाटकर ने डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम भी शुरू किया और महिलाओं के मुद्दों को समर्पित “साद” नामक एक प्रकाशन भी लॉन्च किया।
रहाटकर ने कई परियोजनाओं को किया लागू
2007 से 2010 तक छत्रपति संभाजीनगर के मेयर के रूप में, रहाटकर ने स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे से संबंधित महत्वपूर्ण विकासात्मक परियोजनाओं को लागू किया।
बता दें कि उनके पास पुणे विश्वविद्यालय से फिजिक्स में स्नातक की डिग्री और इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री है।
राहतकर ने कई किताबें भी लिखीं, जिनमें “विधिलिखित” और “औरंगाबाद: लीडिंग टू वाइड रोड्स” शामिल हैं। महिला सशक्तिकरण में उनके योगदान ने उन्हें कई सम्मान दिलाए हैं, जिनमें राष्ट्रीय कानून पुरस्कार और राष्ट्रीय साहित्यिक परिषद से सावित्रीबाई फुले पुरस्कार शामिल हैं।