धरती के लिए एक और चिंताजनक ट्रेंड सामने आया है, जिसके अनुसार जलवायु परिवर्तन के चलते अत्यधिक तापमान और ह्यूमि़डिटी के कारण अमेजन रेनफॉरेस्ट की ग्रीनहाउस गैस मीथेन को अवशोषित करने की क्षमता 70 प्रतिशत तक कम हो सकती है। एक अध्ययन में इसका खुलासा किया गया है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि गर्म जलवायु के कारण दक्षिण अमेरिका के अमेजन के लिए अनुमानित अत्यधिक वर्षा और सूखे से इसके ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर असर पड़ सकता है। गौरतलब है कि धरती का फेफड़ा कहा जाने वाला अमेजन रेनफॉरेस्ट मुख्य रूप से ब्राज़ील में स्थित है। हालांकि, इसका कुछ भाग पेरू, कोलंबिया, इक्वाडोर और अन्य स्थानों पर भी फैला है।
20 फीसदी हिस्सा छोड़ता है मीथेन
इसे एक महत्वपूर्ण ‘ग्रीनहाउस गैस सिंक’ के रूप में जाना जाता है, जो हवा से इन गैसों को अवशोषित करता है। वातावरण शुद्ध रखने के लिए इनका अवशोषण बेहद आवश्यक है। हालांकि, ब्राजील के साओ पाउलो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि अमेजन क्षेत्र का 20 प्रतिशत हिस्सा, जो लगभग आधे साल तक बाढ़ में रहता है, मीथेन छोड़ता है, जिससे अन्य ग्रीनहाउस गैसों को अवशोषित करने की इसकी क्षमता कम हो जाती है। उनका अध्ययन एनवायरनमेंटल माइक्रोबायोम पत्रिका में प्रकाशित हुआ है
पिछले अध्ययनों से पता चला है कि अमेजन के बाढ़ वाले क्षेत्र वैश्विक स्तर पर लगभग 30 प्रतिशत मीथेन उत्सर्जन में योगदान करते हैं। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस, यू.एस. में पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता, प्रमुख लेखक जूलिया गोंटिजो ने कहा, ‘यह पहले ही दिखाया जा चुका है कि हवा का तापमान और मौसमी बाढ़ जैसे कारक इन वातावरणों में मीथेन के प्रवाह को प्रभावित करने वाले सूक्ष्मजीव समुदायों की संरचना को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन और अनुमानित चरम मौसम के संदर्भ में हमें क्या उम्मीद करनी चाहिए?’
ऐसे किया अध्ययन
इस अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने अमेजन के दो बाढ़ वाले क्षेत्रों और मीथेन को अवशोषित करने के लिए जाने जाने वाले ऊंचे जंगलों से मिट्टी के नमूने लिए। इन नमूनों को अत्यधिक तापमान – 27 डिग्री सेल्सियस और 30 डिग्री सेल्सियस में रखा गया। उन्होंने पाया कि ऊंचे जंगल से मिट्टी के सैंपल में गर्म और शुष्क परिस्थितियों में मीथेन अवशोषण 70 प्रतिशत कम हो गया, जबकि भारी वर्षा में मीथेन उत्पादन बढ़ गया, क्योंकि मिट्टी अत्यधिक आर्द्रता से निपटने के लिए अभ्यस्त नहीं थी।लेखकों ने लिखा, ‘इस (ऊंचे) वन मिट्टी के भीतर, शुष्क परिस्थितियों में तापमान वृद्धि के साथ (मीथेन) खपत क्षमता में औसतन 70 प्रतिशत की कमी देखी गई। इसका मतलब है कि बाढ़ के मैदान का माइक्रोबायोम जलवायु परिवर्तन के अनुकूल हो सकता है, लेकिन अपलैंड वन माइक्रोबायोम इसके प्रभावों के प्रति संवेदनशील है, जो भविष्य में अमेजन में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के संतुलन में बदलाव का कारण बन सकता है।’