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क्या शेख हसीना का सत्ता छोड़ना भारत के लिए है खतरे की घंटी? नाजुक मोड़ पर दिल्ली और ढाका के रिश्ते

नई दिल्ली

बांग्लादेश में छात्रों के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद और देश छोड़कर जाना पड़ा। उनकी दशकों की सत्ता समाप्त होने के बाद जहां इस सप्ताह ढाका में जश्न मनाया गया तो वहीं भारत में इसे लेकर चिंता बढ़ गई।

गौरतलब है कि शेख हसीना के शासनकाल में भारत और बांग्लादेश के संबंध दोस्ताना रहे हैं। प्रतिद्वंद्वी चीन का मुकाबला करने और इस्लामी विकल्पों को खत्म करने के लिए भारत ने शेख हसीना का समर्थन किया। एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश के हालिया घटनाक्रम ने क्षेत्रीय शक्ति भारत के लिए एक कूटनीतिक दुविधा पैदा कर दी है।

पीएम मोदी ने दी अंतरिम सरकार के प्रमुख को बधाई

हालांकि, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश के अंतरिम नेता मुहम्मद यूनुस के गुरुवार को सत्ता संभालने के बाद शुभकामनाएं देने वाले पहले राष्ट्राध्यक्षों में से थे। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली ढाका के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। चीन ने भी ढाका के नए अधिकारियों का तेजी से स्वागत करते हुए कहा कि वह संबंधों के विकास को महत्व देता है।

बांग्लादेश की सत्ता में हसीना के प्रतिद्वंद्वियों के नियंत्रण के बाद पुरानी सरकार के लिए भारत का समर्थन फिर से खत्म हो गया है। इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के विश्लेषक थॉमस कीन ने समाचार एजेंसी एएपपी से कहा, ‘बांग्लादेशियों के दृष्टिकोण से, भारत पिछले कुछ वर्षों से गलत रास्ते पर है। भारत सरकार बिल्कुल भी ढाका में बदलाव नहीं देखना चाहती थी और उसने वर्षों से यह स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें हसीना और अवामी लीग के अलावा कोई विकल्प नहीं दिखता है।’

शेख हसीना ने बनाकर रखा नाजुक संतुलन

बांग्लादेश लगभग पूरी तरह से भारत से घिरा हुआ है, जिसका इतिहास 1947 में भारत से अलग होने से बहुत पहले से एक दूसरे से गहराई से जुड़ा हुआ है। हालांकि, भारत की 1.4 अरब की आबादी और प्रभुत्व वाली अर्थव्यवस्था 170 मिलियन की आबादी वाले बांग्लादेश पर भारी पड़ती है। इसके बावजूद हसीना ने चीन से भी करीबी संबंध बनाए रखा।

भारत और चीन, दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश, नेपाल, श्रीलंका और मालदीव सहित पूरे दक्षिण एशिया में रणनीतिक प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। हसीना ने बीजिंग के साथ मजबूत संबंध बनाए रखते हुए, नई दिल्ली के समर्थन से लाभ उठाते हुए एक नाजुक संतुलन कार्य किया। भारत ने उन समूहों को आम खतरे के रूप में देखा, जिन्हें हसीना ने प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा और क्रूर बल से कुचल दिया, जिसमें प्रमुख बांग्लादेश नेशनल पार्टी (बीएनपी) भी शामिल थी।

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‘भारतीय हितों के लिए हानिकारक’

वाशिंगटन स्थित विल्सन सेंटर में साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने कहा, ‘भारत चिंतित है कि हसीना और अवामी लीग का कोई भी विकल्प भारतीय हितों के लिए हानिकारक हो सकता है। नई दिल्ली के विचार में बीएनपी और उसके सहयोगी खतरनाक इस्लामी ताकतें हैं, जो भारतीय हितों को खतरे में डाल सकते हैं।’

इधर, बांग्लादेश में अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी संभालने वाले यूनुस ने कहा है कि वह देश में कुछ महीनों के भीतर चुनाव चाहते हैं। बीएनपी इस सप्ताह ढाका में एक विशाल रैली आयोजित करके वापसी के लिए तैयार हो सकती है। हसीना के पतन के तुरंत बाद, हिंदुओं के स्वामित्व वाले कुछ व्यवसायों और घरों पर हमला किया गया। इस समूह को मुस्लिम-बहुल बांग्लादेश में कुछ लोग हसीना के समर्थक के रूप में देखते थे।

दिल्ली और ढाका के संबंधों में बाधा

इस सप्ताह सैकड़ों बांग्लादेशी हिंदू भारत की सीमा पर आ गए और सीमा पार करने की गुहार लगाने लगे। भारतीय प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने गुरुवार को कहा कि उन्हें सामान्य स्थिति में शीघ्र वापसी, हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की उम्मीद है।

हसीना का भारत में शरण लेना भी नई दिल्ली और ढाका के बीच संबंधों में बाधा साबित हो सकती है। शेख हसीना सोमवार को प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद हेलीकॉप्टर से भारत की शरण में पहुंची और अभी भी किसी सुरक्षित स्थान में रह रही हैं। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद को बताया कि हसीना ने बहुत ही कम समय के नोटिस पर भारत के लिए उड़ान भरी थी और उनका इरादा केवल कुछ समय के लिए रुकने का था।

अमेरिका ने लगाया वीजा पर प्रतिबंध

रिपोर्ट्स के अनुसार वह लंदन जाना चाहती थीं, लेकिन वहां हुए विरोध प्रदर्शनों पर घातक कार्रवाई की संपूर्ण और स्वतंत्र संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में जांच की मांग के बाद ब्रिटेन जाने की उनकी मांग रद्द कर दी गई थी। अमेरिका ने अतीत में हसीना के आर्थिक ट्रैक रिकॉर्ड की प्रशंसा की थी और उन्हें इस्लामी चरमपंथ का मुकाबला करने जैसी प्राथमिकताओं में एक भागीदार के रूप में देखा था, लेकिन उसने हाल ही में लोकतंत्र के बारे में चिंताओं का हवाला देकर उनके वीजा पर प्रतिबंध लगा दिए।

यह स्पष्ट नहीं है कि वह अब कितने समय तक भारत में रहेंगी या फिर कहां जा सकती हैं। नई दिल्ली के पास एक सैन्य एयरबेस पर पहुंचने के बाद से उन्हें एक गुप्त सुरक्षित घर में रखा गया है और सार्वजनिक रूप से बात नहीं की गई है।

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