ग्वालियर
मध्य प्रदेश का चंबल क्षेत्र यानि भिंड-मुरैना और ग्वालियर, यह तीनों ही जिले सेना में जाने वाले मध्य प्रदेश के कुल अभ्यर्थियों में आधे से अधिक का योगदान देते हैं। सुबह-सुबह इन जिलों से आने वाली दर्जनों यात्री बसें नौजवानों से भरी होती थीं, पर अब स्थिति जुदा है। युवाओं की संख्या घटकर 10 प्रतिशत रह गई है।
यह वह क्षेत्रीय युवा होते हैं, जो सेना में भर्ती होने के लिए कोचिंग पढ़ने एवं फिजिकल टेस्ट की तैयारी के लिए इन जिलों से अप-डाउन (आते-जाते) करते हैं। ग्वालियर-चंबल-बुंदेलखंड का आर्मी रिक्रूटमेंट आफिस (एआरओ) इसी क्षेत्र में होने के कारण यहां कई मकानों में डिफेंस कोचिंग संचालित हो रही हैं।
ग्वालियर के गोले का मंदिर चौराहे पर कांग्रेस के कई पोस्टर लगे हुए हैं। कुछ पोस्टर को ठीक ढंग से पढ़ने पर पता चलता है कि स्थानीय कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक खुद के शिक्षित होने का हवाला देते हुए वोट की मांग कर रहे हैं। चौराहे से थोड़ी दूर पर ही एक और विशालकाय होर्डिंग है, उसमें वही प्रत्याशी युवाओं को एक लाख रोजगार देने के वादे के साथ वोट मांगते हुए हाथ जोड़कर खड़े हैं।
दोनों ही पोस्टर में अग्निपथ योजना का कोई जिक्र नहीं है। लगभग दो वर्ष पहले 22 जून, 2022 को इस अंचल का सबसे हिंसक प्रदर्शन का गवाह यही चौराहा बना था। सैकड़ों गाड़ियों में तोड़फोड़, आगजनी, स्टेशन को तहस-नहस कर दिया गया था। युवा मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित नई सेना भर्ती की स्कीम अग्निपथ से उत्तेजित थे। अब मुद्दा नदारद है।
कांग्रेस के घोषणा पत्र में अग्निपथ योजना को वापस लेने का जिक्र किया गया है। राहुल गांधी ने न्याय यात्रा के दौरान तीन मार्च को मुरैना में और 30 अप्रैल को भिंड में चुनावी रैली में इस योजना को युवाओं के अंधकार भविष्य से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा था। राहुल को उम्मीद थी कि यह मुद्दा चंबल का बड़ा क्षेत्रीय मुद्दा बन सकता है, लेकिन मैदानी हकीकत इससे जुदा है।
जिस तरह से ग्वालियर में कांग्रेस के स्थानीय प्रचार में इस योजना का कोई जिक्र नहीं है, वैसे ही भिंड-मुरैना में भी दोनों ही कांग्रेस प्रत्याशी फूलसिंह बरैया और सत्यपाल सिंह उर्फ नीटू सिकरवार जब वोट मांगने निकल रहे हैं तो युवाओं या सैनिक परिवारों से संवाद करते वक्त इस योजना को आगे रखकर वोट नहीं मांग रहे हैं। वह या तो अन्य स्थानीय मुद्दों पर वोट मांग रहे हैं या निजी संबंधों के आधार पर।
पीएम मोदी ने 25 अप्रैल को मुरैना में चुनावी सभा की। लक्ष्य पर भिंड-मुरैना और ग्वालियर लोकसभा सीट ही थीं। हजारों की भीड़ के सामने मोदी ने गरीब कल्याण से लेकर तमाम योजनाएं गनाईं, लेकिन अग्निपथ या अग्निवीर शब्द का जिक्र भी नहीं किया। हां, सेना को फ्री-हैंड देने के दावे को पुख्ता करने के लिए यह जरूर कहा कि अब दुश्मन की एक गोली और तोप के बदले हमारे भिंड-मुरैना के जवान 10 गोली और गोला दागते हैं।
ग्वालियर में डिफेंस कोचिंग इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर एमएस चौहान कहते हैं कि भले ही कांग्रेस इसे स्थानीय मुद्दा नहीं बना पाई हो, लेकिन अग्निपथ योजना से क्षेत्र के लोगों में दबा हुआ गुस्सा तो है। हमारे पास पहले करीब 300-400 बच्चों का बैच होता था, आज 10-12 का भी नहीं है। कई केंद्र बंद हो गए हैं।
स्थानीय राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यदि कांग्रेस इसे युवा आंदोलन बना देती तो निश्चित तौर से तीनों सीटों पर भाजपा का खासा नुकसान हो सकता था। भाजपा चालाकी से उससे बच रही है। दूसरी ओर अदूरदर्शिता और कमजोर प्रचार प्लानिंग के चलते राहुल गांधी के दो बार जिक्र करने के बावजूद कांग्रेस उस गुस्से को स्थानीय मुद्दा बनाकर वोट में परिवर्तित करने का कोई जतन करती हुई दिखाई नहीं दे रही है।
इस चुनाव का रोचक पहलू यह है कि 2022 में जब योजना लांच हुई थी उस वक्त इससे सबसे अधिक जो प्रभावित हुए थे, उनकी उम्र 16-17 साल थी, अब वह बच्चे व्यस्क होकर मतदाता की सूची में शामिल हो गए हैं। युवा वोटर के रूप में यह पहली वार मतदान करेंगे। यह पूछने पर कि क्या इसका असर वोटिंग पर पड़ेगा-चौहान कहते हैं कि हमारे क्षेत्र में जाति के आगे सारे बड़े मुद्दे गौण हो जाते हैं। अग्निवीर योजना की वर्तमान स्थिति की बात करें तो 2024 में 23878 आवेदन हुए हैं। वहीं, 2023 में 21500 आवेदन हुए थे, जबकि इससे पहले सेना भर्ती रैली में 50 हजार आवेदन होते थे।