हर शहर बदल रहा है हर गांव बदल रहा है फिर भी ना जाने क्यों मेरे देश का हर बच्चा रो- रहा है क्या बदला है तुमने हमें भी बतलाओ , हर इंसान आज मरने को तड़प रहा है ,,, जो जीने की तमन्ना लिए बैठे थे अपने दिलों में वो देख अपनों की लाशों को हर खुशी से मुकर चुका है यूं करवा कर दंगे अपने ही शहर में लेकर हाथो में वो आरती की परायो के लिए थाली सजाएं बैठा है कैसी है हमदर्दी तेरी इंसानों से पहले घाव देकर मरहम लगाने बैठा है क्या बदला है तुमने आज हम बतलाए आज हर इंसान आंखो में आंसू लिए बैठा है
कुछ बदल रहा है