कोलकाता
बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी इस समय माकपा-भाजपा को लेकर सख्त तो कांग्रेस के प्रति नरम रवैया अपना रही हैं। ममता ने पार्टी की बैठक में माकपा के युवा संगठन डीवाइएफआइ की ब्रिगेड रैली को ‘कंकाल नायकों की सभा’ व भाजपा को ‘डकैतों का दल’ करार किया तो कांग्रेस के विरुद्ध एक शब्द नहीं कहा।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बंगाल की 42 लोकसभा सीटों को देखते हुए ममता कांग्रेस के प्रति इस तरह की रणनीति अपना रही हैं। दरअसल, वह नहीं चाहतीं कि बंगाल का अल्पसंख्यक वोट बैंक बंटे इसलिए कांग्रेस को अपने खेमे में लाना चाहती हैं, हालांकि ममता कांग्रेस के लिए दो से अधिक सीटें छोड़ने को भी तैयार नहीं हैं। ऐसे में उनकी यह रणनीति कितनी कारगर साबित होगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
एक तरफ ममता कांग्रेस के प्रति नरमी बरत रही हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस की बंगाल इकाई तृणमूल पर लगातार निशाना साध रही है। बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी तृणमूल और भाजपा में सांठगांठ बता रहे हैं। अधीर बंगाल में माकपा की अगुआई वाले वाममोर्चा के साथ अथवा जरुरत पड़ने पर अकेले आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के पक्ष में हैं।
वे कई बार कह चुके हैं कि ममता की पार्टी के साथ गठबंधन का प्रश्न ही पैदा नहीं होता। अधीर के हमलावर होने पर भी तृणमूल नेतृत्व को पता है कि गठबंधन पर अंतिम निर्णय कांग्रेस हाईकमान लेगा।