जलभराव ने किए बर्बाद
हर भूमिगत डस्टबिन की क्षमता 2.1 क्यूबिक मीटर कचरे की थी। अर्बन एनवायरटेक और टीटीएस कंपनी द्वारा लगवाए गए भूमिगत डस्टबिन के फेल होने की मुख्य वजह जलभराव रहा। जमीन के नीचे सीमेंटेड बेस के ऊपर लोहे का कंप्रेशर और सिस्टम लगाया गया था, जो पानी से गल गया।
14 करोड़ खर्च, कचरा अलग नहीं
निगम ने दो साल पहले 14 करोड़ रुपये खर्च करके लाल, नीले और हरे रंग के प्लास्टिक के डस्टबिन घरों के लिए बंटवाए थे, जिनमें गीले और सूखे कचरे के साथ संक्रमित कचरा अलग से रखने का प्रावधान था, पर यह डस्टबिन उपयोग में नहीं है। कूड़ा कलेक्शन की गाड़ियों में मिक्स कूड़ा पहुंच रहा है, जबकि उसमें अलग-अलग कंपार्टमेंट हैं। प्लास्टिक के डस्टबिन गमलों, पानी भरने में उपयोग हो रहे हैं।
धन की बर्बादी
पार्षद शिरोमणि सिंह ने बताया कि केवल जनता के धन की बर्बादी की गई है। भूमिगत डस्टबिन की क्या जरूरत है, जब पानी हर गली, सड़क पर भरता है।
सवाल उठाए थे
पार्षद रवि माथुर ने कहा कि प्लास्टिक डस्टबिन स्टोर में रखे-रखे खराब हो गए। सड़ गए। जो बंटे भी, वह उपयोग में नहीं हैं। हमने इनकी खरीद पर भी सवाल उठाए थे।
तकनीकी कारणों से फेल
मेयर नवीन जैन ने बताया कि जमीन के नीचे डस्टबिन बनाने की नई पहल की थी, लेकिन तकनीकी कारणों और रखरखाव न होने से काम नहीं कर पाए। जो संचालन योग्य हैं, उनसे कचरा उठाया जा रहा है। प्लास्टिक डस्टबिन हमने लोगों को बांटे थे और वह उपयोग कर रहे होंगे।