ताजमहल पर सप्ताहांत उमड़ने वाली सैलानियों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई प्लानिंग नहीं है। रविवार को 30 हजार सैलानी ताज के दीदार को पहुंचे मगर अव्यवस्थाओं से जूझना पड़ा। उमस के कारण टिकट की लाइन में उनकी तबीयत बिगड़ी तो प्रवेश द्वारों पर भी यही हालात रहे। पूर्वी व पश्चिमी गेटों पर दो महिला पर्यटक बेहोश हो गईं। इनमें से एक सैलानी को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। ताजमहल का दीदार राहत की जगह मुसीबत का सबब बन गया है। सप्ताह के अंत में शनिवार व रविवार को 30 हजार से ज्यादा सैलानी पहुंच रहे हैं। अक्टूबर में सीजन शुरू होने पर यह आंकड़ा 40 हजार के पार पहुंचने की उम्मीद है, लेकिन भीड़ नियंत्रण के नाम पर कोई प्लान नहीं है।
पर्यटकों को पहले यहां खुल रहीं दो टिकट खिड़कियों पर लाइन लगानी होती है, जहां किसी तरह से टिकट ले पाते हैं। इसके बाद ताज में प्रवेश के लिए पूर्वी और पश्चिमी गेटों पर टर्न स्टाइल गेटों से गुजरने को कतार में लगकर अंदर जा पाते हैं। रविवार को दोपहर करीब 12 बजे अव्यवस्थाओं से जूझकर किसी तरह ताज के भीतर पहुंची सैलानी ईशा राऊत की तबीयत बिगड़ गई। बेहोश होने पर एएसआई कर्मचारियों ने एंबुलेंस से सैलानी को निजी अस्पताल भिजवाया। इसी तरह पूर्वी गेट पर भी एक महिला बेहोश हो गई। उसके लिए भी एंबुलेंस को कॉल किया गया, लेकिन एक दुकान में आराम करने के बाद कुछ देर में उसकी हालत में सुधार हो गया। ताज सुरक्षा कर्मी का कहना था कि यहां हर सप्ताह ही कई महिलाओं व बच्चों की हालत लाइन में लगने के कारण खराब होती है।
प्राथमिक इलाज की सुविधा भी नहीं
ताज के परिसर में किसी सैलानी की हालत बिगड़ने या तबीयत खराब होने पर प्राथमिक चिकित्सा का भी कोई इंतजाम नहीं है। कोई चिकित्सा कर्मचारी भी तैनात नहीं किया जाता है, जोकि प्राथमिक उपचार कर सके। पूर्व में यहां नगर निगम की डिस्पेंसरी थी, जोकि बंद हो चुकी है। अब किसी पर्यटक के बंदर काटने या तबीयत खराब होने पर एंबुलेंस से निजी अस्पताल भेजा जाता है।
कनफेडरेशन ऑफ टूरिज्म एसोसिएशंस के अध्यक्ष राजीव तिवारी ने बताया कि ताजमहल के आसपास या शिल्पग्राम में इस तरह की व्यवस्था होनी चाहिए। सैलानियों को प्राथमिक इलाज तो मुहैया कराया जा सकता है। क्राउड मैनेजमेंट की चुनौती से निपटने को विस्तृत प्लान तैयार होना चाहिए।