रविवार को चार मीटर जलस्तर और कम हो गया। पानी घटने से मऊ की मढै़या, गोहरा, रानी पुरा, भटपुरा, गुढ़ा, रेहा, क्योरी, बीच का पुरा, झरना पुरा, पुरा डाल, डगोरा के रास्ते खाली हो गए, लेकिन इन पर कीचड़ और दलदल भरा हुआ है। जिससे ग्रामीणों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। खतरे के निशान के करीब पहुंची चंबल नदी में पिनाहट और मुरैना के बीच उसैथ घाट पर स्टीमर का संचालन बंद कर दिया था। इससे मैनपुरी, फिरोजाबाद, इटावा के अलावा बाह क्षेत्र के लोगों को मुरैना क्षेत्र में आने जाने के लिए धौलपुर का चक्कर लगाना पड़ रहा था।
अंबाह के नदी किनारे के गांवों के लोग पिनाहट का बाजार करते हैं। जिससे दोनों इलाकों के 100 से ज्यादा गांवों के लोग प्रभावित थे। रविवार को पानी घटने पर स्टीमर का संचालन शुरू हो गया है। जिससे ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। चंबल नदी के उफान के पानी में 38 गांवों के खेतों में बाजरा, तिल, तोरई, लौकी, टिंडे, मिर्च की फसलें डूब गई थीं। फसलें नष्ट होने से चिंतित किसानों ने प्रशासन से नुकसान के आंकलन और भरपाई के लिए मुआवजे की व्यवस्था किए जाने की मांग की है।
वहीं, शनिवार को यमुना नदी का पानी दो फुट घटा था। रविवार को यमुना फिर बढ़ने लगी। जिससे बाह के नदी किनारे के 33 गांवों के कछार के खेतों में पानी भर गया है। रामपुर चंद्रसेनी, बलाई, बाग गुड़ियाना, चरीथा, बटेश्वर, गढ़ी, बरौली, चौरंगा बीहड़, विक्रमपुर आदि गांवों के किसानों ने बताया कि यमुना के दोबारा बढ़ने से कछार की फसलें बचने की उम्मीद टूट गई हैं। बीहड से जुड़ने वाले नदी के रास्तों पर भी पानी भर गया है।