शासन के आदेश के बाद जिले में चलने वाले डग्गेमार वाहनों पर कार्रवाई होने के बाद अब यातायात के साधन कम पड़ने लगे हैं। आलम ये है कि रोडवेज की बसें भी इन यात्रियों के लिए कम पड़ रही हैं।
एटा में शासन के आदेश पर डग्गामार वाहनों पर काफी हद तक अंकुश तो लगा दिया गया है, लेकिन इससे रोडवेज की सांसें फूल रहीं हैं। प्रतिदिन करीब पांच हजार यात्री बढ़ गए हैं, जबकि बसें सीमित हैं। ऐसे में निगम सभी यात्रियों को सेवा नहीं दे पा रहा है। उनको बसों की कमी से जूझते हुए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।
परिवहन निगम के पास एटा डिपो में कुल 104 बसें हैं, जबकि 46 बसें अनुबंधित हैं। बस स्टैंड के बाहर एक सप्ताह पहले तक प्राइवेट बसों का जमावड़ा रहता था। बसों में सीट के लिए यात्रियों में मारामारी नहीं होती थी, लेकिन एक सप्ताह से प्राइवेट और डग्गामार बसों व अन्य वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की गई तो यात्रियों का रुख परिवहन निगम की ओर हो गया। सात दिन पहले तक करीब 17 हजार यात्री प्रतिदिन डिपो की बसों में जाते थे, अब 22 हजार लोग यात्रा कर रहे हैं।
प्राइवेट बसें यात्रियों को लेकर जयपुर व अजमेर तक जाती थीं। अब प्राइवेट बसें नहीं जा रही हैं। निगम की बसों के पास जयपुर व अजमेर का परमिट नहीं है। ऐसे में वहां जाने वाले यात्री भटकते रहते हैं। उन्हें अब आगरा के लिए जाना पड़ रहा है।
अभी तक डबल डेकर बसों सहित अन्य प्राइवेट बसों से यात्री दिल्ली के लिए निकल जाते थे। रोडवेज बस स्टैंड के बाहर से यात्रियों को ये बसें बैठा लेती थीं। अब यह बसें निकलना बंद हो गईं तो दिल्ली रूट पर यात्रियों की संख्या बढ़ गई है। जबकि निगम के संसाधनों में कोई इजाफा नहीं हुआ है।