आगरा

संजय कुमार ने गांव में रिश्ते के चाचा की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए गुरुवार को आने का वादा किया था। दोस्त और परिवार के लोग उनका इंतजार कर रहे थे। गुरुवार की रात को जब संजय का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो वहां मौजूद उनके स्वजन और दोस्तों में कोहराम मच गया। पुलिसकर्मियों द्वारा सलामी देने के बाद स्वजन ने रात में ही संजय यादव का अंतिम संस्कार किया।

बुलंदशहर में चेकिंग के दौरान डंपर की टक्कर से मृत दारोगा संजय कुमार यादव मूलरूप से एत्मादपुर के गांव धौर्रा रहने वाले थे। गांव में गुरुवार को संजय के रिश्ते के चाचा कप्तान सिंह की बेटी की बरात आनी है। कप्तान सिंह ने बताया कि संजय उनकी बेटी को अपनी बहन मानते थे। उनसे एक दिन पहले भी फोन पर बात हुई थी। संजय ने बहन की शादी में शामिल होने का वादा किया था। उनसे गुरुवार को बरात आने से पहले गांव पहुंचने का वादा किया था। यह नहीं पता था कि वह खुद नहीं बल्कि उनका पार्थिव शरीर आएगा।

पिता पुरुषोत्तम यादव ने बताया कि वह तीन बेटों में सबसे बड़े थे। वह 1995 में पुलिस में भर्ती हुए थे। संजय के दोनों छोटे भाई ब्रजेश और जय प्रकाश गांव में रहकर खेती करते हें। संजय की पत्नी कुसुम हैं। उनका बेटा पंकज बीएससी और बेटी प्रतिभा दसवीं की छात्रा है। संजय का परिवार टूंडला के गुरुद्वारा मार्ग पर रहता है।

 

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