आगरा
आगरा शहर की पाश कालोनी खंदारी के हनुमान चौराहा में लेदर कारोबारी अवनीश कुमार ग्रोवर और उनकी पत्नी ऊषा रानी की घर में ही धारदार हथियार से हत्या की गई थी। सनसनीखेज हत्याकांड को सात वर्ष बीत चुके हैं। मगर, हत्याकांड के राज नहीं खुले। कई बार जांच की फाइल बंद होकर खुली। डीजीपी के स्तर से मानीटरिंग हुई। आठ विवेचक, पांच एसएसपी बदल गए। मगर, हत्याकांड का पर्दाफाश नहीं हुआ। अब पुलिस भी इसे भुला चुकी है। आज भी उनकी कोठी के साथ ही हत्याकांड के राज पर ताला लगा है।
15 नवंबर 2015 की रात को कारोबारी अवनीश कुमार ग्रोवर और उनकी पत्नी ऊषा रानी घर में अकेले थे। इकलौता बेटा गिरीश 12 नवंबर को पत्नी और बच्चों के साथ बहन बिंटी के पास पश्चिम विहार, दिल्ली गया था। अवनीश कुमार ग्रोवर और ऊषा रानी की मेन गेट के पास कुदाल से सिर कुचलकर हत्या कर दी गई थी। दोनों के मुंह और पैर टेप से बांध दिए गए थे। हत्यारों ने दोनों के शव घसीटकर गैरिज में डाल दिए थे। सुबह तक कारोबारी की कार गेट के बाहर ही खड़ी रही।
ग्रोवर दंपती हत्याकांड के समय एसएसपी डा. प्रीतिंदर सिंह थे। उनके बाद एसएसपी दिनेश चंद्र दुबे, एसएसपी अमित पाठक और एसएसपी जोगेंद्र कुमार व एसएसपी बबलू कुमार आए। सभी ने हत्याकांड की फाइल को दोबारा खुलवाया। घटनास्थल का निरीक्षण किया और नए तथ्यों की तलाश की। कारोबारी के बेटे गिरीश ग्रोवर से बातचीत की। मगर, कुछ नहीं निकला।
अब इस केस की किसी क्राइम मीटिंग में चर्चा भी नहीं होती। हत्याकांड के समय एसओ हरीपर्वत शैलेष सिंह थे। उनके बाद इंस्पेक्टर धर्मेंद्र चौहान, जयकरण सिंह, राजा सिंह, हरिमोहन सिंह, महेश चंद्र गौतम, प्रवीन कुमार मान और अजय कौशल रहे। ये सभी इस केस की विवेचना कर चुके हैं।