आगरा
जवाहर बाग कांड के मुख्य आरोपित रामवृक्ष यादव की मौत की पुष्टि मामले की जांच कर रही सीबीआइ ने हाईकोर्ट में की है पूर्व में जिस जले हुए शव को रामवृक्ष का बताया जा रहा था, उसका डीएनए मिलान हो गया है। इस संबंध में सीबीआइ द्वारा मांगी गई आख्या भी पुलिस ने भेज दिया है। पूर्व में रामवृक्ष यादव के बेटे राज नारायण ने नगर निगम से अपने पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र मांगा था। लेकिन नगर निगम ने मौत की पुष्टि ना होने की जानकारी देकर प्रमाण पत्र नहीं बनाया था। इस मामले में बेटे ने हाईकोर्ट में जानकारी दी। एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि सीबीआइ ने पूर्व में मिले जले हुए शव की पहचान रामवृक्ष के रूप में की है। उससे बेटे राज नारायण का डीएनए की मैच हो गया है। इस संबंध में सीबीआइ ने जिला पुलिस से आख्या मांगी थी, वह प्रेषित कर दी गई है।
मार्च 2014 में जवाहर बाग पर कथित स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह संगठन के रामवृक्ष यादव ने अपने अनुयायियों के साथ कब्जा कर लिया था। रामवृक्ष यादव मूलरूप से गाजीपुर का रहने वाला था। 2 जून 2016 को जवाहर बाग खाली कराने के लिए तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी के नेतृत्व में पुलिस टीम गई थी। टीम पर कथित सत्याग्रहियों ने हमला कर दिया।
इस दौरान हुई हिंसा के बाद से ही रामवृक्ष यादव लापता था। उस दौरान पुलिस ने रामवृक्ष के हिंसा में मारे जाने का दावा किया था, लेकिन अभी तक इसका कोई रिकार्ड नहीं मिला। अब रामवृक्ष के बेटे राज नारायण ने नगर निगम में अपने पिता के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी करीम अख्तर कुरैशी ने बताया, इस संबंध में राज नारायण ने प्रपत्र-दो भरकर नहीं दिया है। आवेदक से प्रपत्र भरकर देने को कहा गया है। इसके बाद ही जांच होगी।
राजनारायण और रामवृक्ष के अनुयायियों के अधिवक्ता एलके गौतम ने बताया, रामवृक्ष की मृत्यु की पुष्टि कराने के लिए डीएन की जांच कराई गई थी। अभी तक उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। रामवृक्ष के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया गया था। उसके बाद भी नहीं मिला। पहले नगर पालिका में भी मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया गया था, लेकिन उस समय भी कोई रिकार्ड नहीं मिला था।