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स्‍टोन कटिंग यूनिट से उड़ती धूल पहुंचा रही ताजमहल को नुकसान, एनजीटी ने उठाया ये कदम, लगेंगी पाबंदियां

आगरा

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में स्टोन क्रशर इकाइयों के संचालन से हो रहे प्रदूषण से ताजमहल व यमुना को पहुंच रहे नुकसान के मामले से संबंधित शिकायत का संज्ञान लिया है। एनजीटी ने टीटीजेड अथारिटी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और संबंधित विभागों की संयुक्त जांच कमेटी का गठन कर जांच कराने व मानकों का पालन कराने के निर्देश दिए हैं।

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टीटीजेड में स्टोन क्रशर इकाइयों के संचालन से ताजमहल को नुकसान पहुंचने व यमुना जल के प्रदूषित होने की शिकायत अशोक द्वारा एनजीटी में की गई थी। इसके बाद उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जनवरी में एनजीटी में रिपोर्ट दाखिल की थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि टीटीजेड में स्टोन क्रशर नहीं हैं। यहां केवल स्माल स्टोन कटिंग यूनिट हैं, जो पत्थरों के ब्लाक को काटकर बेचने का काम करती हैं। इनका ताजमहल से एरियल डिस्टेंस 75 से 78 किमी है। इस मामले में एनजीटी की मुख्य बेंच में 16 मार्च को सुनवाई हुई, जिसमें शिकायत का निस्तारण करते हुए जांच कमेटी बनाने के निर्देश दिए गए। जांच कमेटी को तीन बिंदुओं पर स्माल स्टोन कटिंग यूनिट की जांच करनी होगी

स्माल स्टोन कटिंग यूनिट द्वारा पत्थर की कटिंग के लिए इस्तेमाल किए जा रहे भूगर्भ जल के स्तर को बरकरार रखने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट बनाने होंगे।

-पत्थर की कटिंग करने पर जो स्लरी उत्पन्न होती है, उसका वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करना होगा। अब तक इसका निस्तारण मकानों के निर्माण में भराव के लिए किया जा रहा है।

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-ग्राउंड वाटर एक्ट के नियमों का पालन करते हुए स्टोन कटिंग यूनिट को काम करना होगा। तांतपुर में पांच एकड़ जमीन में स्थित तालाब की देखरेख गैंगसा एसोसिएशन करती है। एनजीटी ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग करने के निर्देश दिए हैं।

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