आगरा
ताज महोत्सव में शिल्पग्राम उस कलाकार के नृत्य कौशल का साक्षी बना, जिनका जीवन संघर्ष किसी साधना से कम नहीं है। जिनके जन्म के बाद उन्हें जिंदा दफन कर दिया गया था। मां की ममता ने उनके जीवन की डोर थामे रखी तो सांपों का झूठा दूध पीकर वह बड़ी हुईं। अपने कौशल को दुनिया के सामने लाने को उन्हें पहचान तक छुपानी पड़ी। आज सारी दुनिया कालबेलिया नृत्य के लिए उन्हें जानती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं पद्मश्री गुलाबो सपेरा की, जिन्होंने 20 साथी कलाकारों के साथ न भूलने वाली प्रस्तुतियां देकर महोत्सव में रंग जमाया तो शिल्पग्राम थिरक उठा।
गुलाबो सपेरा ने शुरुआत गणेश वंदना घर में पधारो गजानन म्हारे… से की। इसके बाद स्वागत गान केसरिया बालम पधारो म्हारे देश… पर उन्होंने साथी कलाकारों के साथ प्रस्तुति दी। चरी नृत्य, घूमर नृत्य और बंजारा नृत्य की प्रस्तुतियां हुईं तो दर्शक झूमने लगे। अंत में उन्होंने कालबेलिया नृत्य की प्रस्तुति दी तो डांस के स्टेप्स देखकर दर्शक चकित नजर आए। निरंतर तालियां गूंजती रहीं। कार्यक्रम समन्वयक दिनेश श्रीवास्तव रहे और संचालन श्रुति सिन्हा ने किया।
गुलाबो सपेरा ने कहा कि आजकल बच्चे टीवी शो और रियलिटी शो देखकर स्वयं को ढालते हैं। आजकल के शो में डांस के लिए जिमनास्ट में निपुण होने पर विशेष जोर दिया जाता है। विलुप्त हो रही लोक कलाओं को बचाने के लिए संस्कृति को जीवंत रखना होगा। केंद्र सरकार को चाहिए कि वह हर राज्य की विशेषता व सांस्कृतिक विधाओं के उत्सवों को बढ़ावा दे, जिससे कि लोक कलाएं बच सकें।