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विधवा और निराश्रित माताओं के जीवन में घुले रंग, होली की ये तस्‍वीरें आपको भी देंगी कुछ पलों की मुस्‍कान

आगरा
वे जीवन के अंतिम पड़ाव पर हैं, जिदंगी में अब न कोई खुशी थी और न ही चाह। बेरंग हो चुकी जिंदगी में होली ने खुशियों के रंग भरे, तो चेहरे पर मुस्कान तैर गई। एक-दूसरे के गालों पर गुलाल लगाया और फूलों की पंखुड़ियां बरसाईं। ये मोहक दृश्य ठाकुर बांकेबिहारी की नगरी वृंदावन में दिखा।

आश्रय सदनों में रह रही निराश्रित माताओं ने होली खेली, तो मानों सारे जहां की खुशियां उन्हें मिल गईं। सप्तदेवालयों में शामिल ठा. गोपीनाथ मंदिर में सदियों पुरानी रूढ़िवादी परंपरा को धता बताते हुए बड़ी संख्या में विधवा माताओं ने एक बार फिर रंगों का त्योहार होली मनाया। सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डा. बिंदेश्वर पाठक ने 2013 से वृंदावन की विधवाओं को होली मनाने के लिए प्रेरित किया था।

होली समारोह उन हजारों विधवाओं के लिए यादगार बन गया, जो पिछले दिनों अपमान का सामना करती थीं। हाेली खेलने वालीं ज्यादातर विधवा माता जो पश्चिम बंगाल की मूल निवासी हैं, उन्होंने एक-दूसरे पर फूलों की पंखुड़ियां फेंकी और रंग लगाया। उन्होंने नृत्य किया और कृष्ण भजन और होली गीत गाए। होली में मस्ती ऐसे कि मानों आज उन्हें सारी खुशियां मिल गई हों।

होली खेलते हुए विधवा गौरवाणी दासी ने उत्सव को आशा की होली बताया। उन्होंने कहा कि हमारी तो जिंदगी ही नीरस हो गई है, लेकिन होली ने कुछ पल के लिए ही सही, जो खुशियां दी हैं, वह पूरी जिंदगी भूल नहीं सकती। हम माताओं का तो कान्हा ही सहारा हैं।

कान्हा की प्रिय होली खेलने में भला हम कैसे पीछे रह जाते। छवि मां और विमला दासी ने अन्य माताओं के साथ होली मनाकर बहुत खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ये होली उनके जीवन की बड़ी खुशियों में शामिल है। होली के रंग की तरह ही हमारी जिंदगी में भी खुशियों के रंग भरें, ऐसी ठाकुर बांकेबिहारी से कामना है। अमेरिका स्थित सेलिब्रिटी मास्टर शेफ विकास खन्ना और उनके सहयोगियों ने भी होली समारोह का समर्थन किया।

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