आगरा
शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक हर जगह कमल खिला तो जिले की नौ विधानसभा क्षेत्र को भाजपा ने दोबारा कब्जा लिया है। कोई दो तो कोई तीन बार लगातार जीतकर आया है, तो किसी पर लंबा राजनीतिक करियर है। संगठन से भी लंबे समय से जुड़े रहने वाले भी है तो कोई जातिगत समीकरण, कद के आधार पर भारी पड़ रहा है। सभी अपने दावों को लेकर नेतृत्व तक पहुंच बना रहे हैं, तो कुछ ने लखनऊ में डेरा डाल दिया है।
गत मंत्रीमंडल में आगरा के दो विधायक मंत्री बनाए गए थे, जबकि विस्तार में विधान परिषद सदस्य धर्मवीर प्रजापति को भी मंत्री पद मिला था। दो मंत्रियों में भाजपा ने वर्ष 2017 में जीते आगरा कैंट विधायक डा. जीएस धर्मेश को मंत्री बनाया था। वे पुन: जीत दर्ज कर दावेदारी कर रहे हैं, तो अनुसूचित जाति की ही बेबीरानी मौर्य ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत दौड़ में आगे खड़ी हैं। वे पार्टी की वर्तमान में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं ताे उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल भी हैं। उनका नाम डिप्टी सीएम के लिए भी चर्चाओं में है, तो उनके क्षेत्र में जनसभा करने आए राजनाथ सिंह भी इसका संकेत दे गए थे।
उत्तर विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव में मजबूत जीत लेने के बाद पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने इस बार 1.12 लाख वोट पाकर बड़ी जीत में प्रदेश में पांचवें स्थान पर रहे हैं। वैश्य समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले और जनसंघ के समय से पार्टी की सेवा करना भी उनको दावे को मजबूत करता है।
लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करने वाले योगेंद्र उपाध्याय भी मजबूत दावेदार हैं। उन्होंने अपनी जीत का अंतर हर बार बढ़ाया है तो इस 56 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की है। वे गत मंत्रीमंडल में भी प्रबल दावेदार थे, लेकिन अंतिम समय पर उनका नाम कट गया था। इसके बाद उनको संतुष्ट करने के लिए मुख्य सचेतक बनाया गया था। वे विद्यार्थी परिषद जीवन से छात्र राजनीति करते थे तो विधायक बन आगरा के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। गंगाजल लाने का श्रेय भी उनको जाता है।
पूर्व राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह के स्थान पर टिकट लेकर फतेहपुर सीकरी से जीत दर्ज करने वाले चौधरी बाबूलाल भी जातिगत गणित के आधार पर दावेदारी में हैं। बाह विधायक पक्षालिका सिंह भी लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर दावेदारों में है। गत मंत्रीमंडल में शामिल होने के लिए भी उनका नाम चर्चाओं में रहा था।