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Lathamaar Holi 2022: महिलाओं के लट्ठ हैं तैयार, पुरुषों की ढाल, आज बरसाना में बिखरेगा लठामार होली का उल्‍लास

आगरा
सतरंगी बरसा में मस्तक पर स्वर्ण मुकुट और पीले रंग की पोशाक धारण कर राधारानी लाड़ली महल में होली खेलेंगी। सेवायत भी महारानी के इस उत्सव को खास बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। रंगीली गली से लाड़ली महल तक की धरा पर बिखरे रंग लठामार होली की तैयारियों का यशोगान कर रहे हैं। शुक्रवार को राधारानी की नगरी बरसाना पुरातन परंपरा लठामार होली होगी।

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विश्व प्रसिद्ध इस होली का साक्षी बनने के लिए देश-विदेश के श्रद्धालु भी बरसाना आए हुए हैं। सेवायत गोविंद गोस्वामी ने बताया कि राधारानी शाम को करीब साढ़े चार बजे रंगों की होली खेलेंगी। समाज गायन के बाद रंगीली चौक में नंदगांव के हुरियारे और बरसाना की हुरियारिन लठामार होली खेलेंगी। लठामार होली के लिए प्रशासन ने चाक चौबंद व्यवस्थाएं कर रखी हैं। हुरियारिन लठ तैयार कर बैठी हैं तो नंदगांव के ग्वाल लठों से बचाव को ढाल तैयार कर लठामार होली खेलने को तैयार हैं। नंदगांव के सेवायत माधव गोस्वामी ने बताया कि द्वापर युगीन होली का नजारा बरसाना में जीवंत होगा।

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सूर्यदेव के ढलते ही अंधेरे ने बरसाना में दस्तक देने की जुर्रत की, लेकिन मंदिर की रंग-बिरंगी रोशनी के आगे अंधेरा टिक न सका। मंदिर की आकर्षक सजावट भक्तों को लुभा रही है। रंग-बिरंगी लाइटों से संवरा राधारानी का महल आज अपनी महारानी के श्रृंगार की शोभा बन अपनी किस्मत पर इठला रहा है।

नंदगांव के ग्वाल-बाल को गुरुवार को बरसाना में होली खेलने का न्यौता मिल गया। न्यौता मिलते ही ग्वाल-बाल सखियों संग नंदभवन में झूमे। शुक्रवार को यहां के हुरियारे होली खेलने के लिए बरसाना जाएंगे। सुबह से ही कान्हा और उनके सखा बरसाना से होली खेलने का न्यौता मिलने का इंतजार कर रहे थेे। करीब ग्यारह बजे सखियों का टोल नंदगांव के नंदभवन पहुंचा। सखियों को देखते ही परिसर में शोर होने लगा कि बरसाना से न्यौता आ गया।

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सखियों ने मंदिर के सेवायत को कमोरी (गुलाल, बीडा, मठरी, इत्र) को सौंपा। सेवायत ने कमोरी (निमंत्रण पत्र) को नंदबाबा और कन्हैया के चरणों में रख दिया। होली खेलने का न्यौता मिलते ही सखा उत्साहित हो उठे। सेवायतों ने सखियों का चुनरी पहनाकर स्वागत किया। रसिया गायन और नृत्य का दौर चला। उत्साहित सखाओं ने सखियों के संग नृत्य किया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु फाग आमंत्रण महोत्सव में मौजूद रहे। अंत में सखियों को राजभोग कराकर भेंट दे विदा किया गया।

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