आगरा
बूंद-बूंद जल संकट से शहर के दर्जनों क्षेत्र जूझ रहे हैं, तो भूगर्भ जल स्तर पर गिरता जा रहा है। इसके बाद भी शहर की हर गली, मोहल्ले में जल दोहन हो रहा है। तीन हजार से अधिक आरओ प्लांट अनाधिकृत रूप से जल दोहन कर रहे हैं, लेकिन इन पर लगाम नहीं कस पा रही है। किसी भी बोरिंग के लिए अनापत्ती प्रमाण पत्र (एनओसी) लेने की अनिवार्यता है, लेकिन लगाम नहीं कस पा रही है। औद्यौगिक क्षेत्र में कुल 17 ताे कृषि क्षेत्र में 200 एनओसी ली गई हैं।
जिले में 15 में से 12 ब्लाक डार्क जोन में आ गए हैं, जबकि पीने के पानी के लिए भी बड़ा संकट है। भूगर्भ के गिरते जलस्तर को बचाने और जलसंकट की विकराल होती समस्या से निजात के लिए भूगर्भ जल विभाग ने पिछले दिनों सख्त रुख अपनाया था। अभी तक कुल 22 आवेदन भूगर्भ जल विभाग के पास पहुंचे हैं, जिसमें से चार को संस्तुति मिली है। वहीं अन्य इस ओर रुझान नहीं दिखा रहे हैं। वहीं प्लांट संचालकों को प्लांट से निकलने वाले पानी को भी भूगर्भ में पहुंचने से बचाना है। इनको किसी सार्वजनिक शौचालय आदि में प्रयोग किया जाने के लिए भी विभाग ने सहयोग मांगा है। इसके लिए अभी कोई तैयार नहीं हुआ है। लाखों लीटर पानी रोज बर्बाद हो जाता है। वहीं विभाग लगाम लगाने को तैयार नही है।
सप्ताहभर चार्ज लिए हुआ है। इस दौरान जो आवेदन आए हुए थे, वे सही नही हैं। बिना एनओसी के जो प्लांट संचालित हो रहे हैं, उन पर 10 मार्च के बाद कार्रवाई की जाएगी।