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मैनपुरी छात्रा दुष्कर्म हत्याकांड मामले में नया मोड़, खुदकुशी मान रही एसआईटी, ढाई साल से दुष्कर्मी बेसुराग, पढ़ें अब तक का घटनाक्रम

आगरा
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जनपद में छात्रा दुष्कर्म कांड की जांच कर रही एसआइटी (एसआइटी) ने घटना को खुदकुशी मानते हुए विद्यालय की तत्कालीन प्रधानाचार्य सुषमा सागर के खिलाफ अदालत में चार्जशीट प्रस्तुत कर दी है। वहीं दुष्कर्म करने वाले का अब तक सुराग नहीं लग सका है। छात्रा के स्वजन जल्द से जल्द दुष्कर्म के आरोपित काे गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं। वहीं एसआइटी भी दुष्कर्म करने वाले का पता लगाने के लिए गवाहों और अलग-अलग वैज्ञानिक तकनीक का सहारा ले रही है।

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भोगांव क्षेत्र में स्थित एक विद्यालय में पढ़ने वाली कक्षा 11 की छात्रा का शव 16 सितंबर 2019 को विद्यालय के हास्टल में फंदे पर झूलता मिला था। छात्रा के पिता ने दुष्कर्म और हत्या का मामला दर्ज कराया था। घटना की जांच भोगांव पुलिस को सौंपी गई थी। स्वजन ने सीबीआइ से जांच की मांग को लेकर आंदोलन किया तो मामले की जांच एसटीएफ को सौंपने के साथ ही अतिरिक्त जांच मजिस्ट्रेट से कराने का निर्णय लिया गया था। इसके बावजूद स्वजन का आंदोलन जारी रहा तो एसआइटी गठित की गई। लेकिन लंबे समय तक एसआइटी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। बाद में उच्च न्यायालय के कंड़ रुख के बाद 16 सितंबर 2021 नई एसआइटी गठित की गई।

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नई एसआइटी ने एम्स के विशेषज्ञों के आधार पर घटना को खुदकुशी माना और इसके लिए विद्यालय की तत्कालीन प्रधानाचार्य सुषमा सागर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके साथ ही उनके खिलाफ चार्जशीट भी कोर्ट में पेश कर दी।

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मां के बयान के आधार पर लिया नार्को टेस्ट का निर्णय सूत्रों का दावा है कि छात्रा की मां के बयान के आधार पर एसआइटी ने आबकारी मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री के पुत्र अंकुर अग्निहोत्री का नार्को टेस्ट कराने का निर्णय लिया था। यह टेस्ट कोर्ट की अनुमति के बाद ही संभव है। इसलिए गुरुवार को अदालत से अनुमति प्राप्त की गई।
इस प्रकरण में तत्कालीन एसपी अजय शंकर राय फॉरेंसिक रिपोर्ट दबाने में हटाए गए हैं। 15 नवंबर को दुष्कर्म होने की पुष्टि करने के साथ ही डीएनए जांच की भी सिफारिश की थी, लेकिन संदिग्धों से डीएनए मैच कराने के बजाय पुलिस इसे दबाकर बैठी रही। शासन की सक्रियता के बाद तत्कालीन डीजीपी ओपी सिंह ने केस से जुड़े अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ बात की थाी। इस दौरान पता चला कि आगरा में डीएनए जांच न होने की वजह से जांच के लिए पुलिस को यह स्लाइड लखनऊ भेजनी थी, लेकिन विवेचक इंस्पेक्टर इसे अपने पास रखे रहे। इसमें लापरवाही उजागर होने पर एसपी को हटा दिया गया था।

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