आगरा
यूक्रेन में सात दिन से जारी लड़ाई के बीच कीव और खारकीव में स्थिति नियंत्रण से बाहर है। हर ओर पल-पल धमाके और भारी बमबारी हो रही हैं। खारकीव में एक भारतीय मेडिकल छात्र की रूसी सेना के हमले में हुई मृत्यु के बाद चिंता बढ़ गई हैं। इस खबर से वहां फंसे मेडिकल विद्यार्थी जितना परेशान हैं, उनके स्वजन की धड़कन भी बढ़ गई है। सभी अपने बच्चों की सलामती के लिए पल-पल प्रार्थना कर रहे हैं।
बमरौली कटारा, फतेहाबाद रोड निवासी देवेंद्र सिंह राणा यूक्रेन के कीव में अपने हास्टल के बंकर में फंसे हैं। उन्होंने मंगलवार सुबह पिता बच्चू सिंह को बताया कि हास्टल के आसपास बहुत तेज धमाके हो रहे हैं। विद्युतापूर्ति कभी भी कट सकती है। खाने का सामान नाम-मात्र को बचा है। पानी भी कप में भरकर स्टोर किया है। हालात विस्फोटक हो रहे हैं, लेकिन भारतीय दूतावास ने अब तक उनसे संपर्क नहीं किया है। उनके साथ आगरा के दो लडके और दो लड़कियां भी हैं। वह कब तक निकलेंगे या निकाले जाएंगे, फिलहाल कोई आशा दिखाई नहीं दे रही है। बेटे के फंसने से मां विमला देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। पूरा परिवार हर पल उनकी सकुशल वापसी की प्रार्थना कर रहा है। देवेंद्र पांच भाई और दो बहनों में सबसे छोटे हैं। वह एक साल पहले कीव मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस करने गए थे।
पंचशील कोलानी, देवरौठा, शाहगंज निवासी सुदीक्षा सिंह खारकीव में थीं। पिता पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि मंगलवार दोपहर बेटी को खारकीव प्रशासन की एडवाइजरी मिली कि सभी बच्चे अपनी जिम्मेदारी पर खारकीव छोड़ दें, प्रशासन सुरक्षा करने की स्थिति में नहीं। इस पर सुदीक्षा अपने 10-12 साथियों के साथ खारकीव हास्टल से निकलकर मेट्रो से रेलवे स्टेशन पहुंच गई हैं और हंगरी के लिए ट्रेन का इंतजार कर रही हैं। लेकिन स्टेशन पर बहुत भीड़ है, टिकट भी नहीं है। कुछ भारतीय विद्यार्थियों को विरोध भी झेलना पड़ रहा है। ऐसे में वह कब ट्रेन में सवार होकर हंगरी बार्डर पहुंचेंगी, स्वजन को नहीं पता क्योंकि खारकीव से हंगरी बार्डर की दूरी करीब दो हजार किमी है और सफर में 20 से 24 घंटे लगेंगे। सुदीक्षा पर खाना-पानी खत्म हो चुका है। थोड़े से ब्रेड और पानी से काम चला रही हैं। उनके पिता गुजरात के मुद्रा पोर्ट पर जाब करते हैं, जबकि मां मुंबई में बेटे के साथ हैं और उनके दादा-दादी देवरौठा में हैं। ऐसे में सभी अपने-अपने स्तर से भगवान से प्रार्थना कर बेटी की सकुशल वापसी की प्रार्थना कर रहे हैं।
खारकीव में ही शास्त्रीपुरम, ए ब्लाक निवासी अंजली पचौरी अपने हास्टल में ही फंसी हैं। पिता बृजगोपाल पचौरी ने बताया कि बेटी के हास्टल का मैस कल से नहीं चल रहा। सिर्फ थोड़े से चिप्स के सहारे वह भूख मिटा रही हैं। अब तक भारतीय दूतावास ने उनसे संपर्क नहीं किया है, न कोई सूचना दी है कि वह कहां से निकल सकती हैं। खारकीव के मेयर हरदीप पुरी ने एडवाइजरी जारी की है कि सभी विद्यार्थी जल्द से जल्द कीव और खारकीव छोड़े दें। लेकिन आज बमबारी ज्यादा होने से खतरा ज्यादा है। इसलिए आज वह नहीं निकलीं। लेकिन उससे पहले एक ग्रुप ने निकलने की कोशिश की, तो उसमें शामिल एक भारतीय छात्र गोली का शिकार हो गया। इससे उनमें दहशत बढ़ गई है।