आगरा
यमुना किनारा की ओर से ताजमहल की सुरक्षा व्यवस्था अब और सख्त होगी। यहां कंसेर्टिना वायरिंग (कंटीले तारों की बाड़) की ऊंचाई तो बढ़ाई ही जा रही है, लोहे का जाल भी लगाया जा रहा है। इससे उसे कोई पार नहीं कर सकेगा। यहां रात में कम रोशनी की वजह से आने वाली दिक्कत को देखते हुए लाइट्स की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। सीआइएसएफ जवानों की सुविधा को दो अस्थायी केबिन भी बनाए जाएंगे।
ताजमहल की उत्तरी दिशा में यमुना नदी है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा करीब दो दशक पूर्व मलबे व कचरे के ऊपर गार्डन बनाते हुए घास लगा दी गई थी। ताजमहल की उत्तर-पूर्वी बुर्जी से लेकर उत्तर-पश्चिमी बुर्जी तक यमुना किनारा पर सुरक्षा की दृष्टि से पांच फुट ऊंचाई तक कंसेर्टिना वायरिंग हो रही है। यहां सुरक्षा में सीआइएसएफ के जवान तैनात रहते हैं। ताज सुरक्षा समिति ने स्मारक के निरीक्षण के दौरान यमुना की ओर से ताजमहल की सुरक्षा को और पुख्ता बनाने के सुझाव दिए थे। मुख्य मकबरा यमुना किनारा से सबसे नजदीक है। ताज की उत्तरी दीवार से यमुना की दूरी कहीं 15 तो कहीं 30 मीटर है। समिति के सुझाव पर एएसआइ ने दिल्ली मुख्यालय को 40 लाख रुपये से काम करने का प्रस्ताव बनाकर भेजा था। इसे स्वीकृति मिलने के बाद काम शुरू कर दिया गया है। इसमें करीब 20 लाख रुपये कंसेर्टिना वायरिंग की ऊंचाई बढ़ाने व जाल लगाने पर व्यय होंगे, जबकि 20 लाख रुपये से सीआइएसएफ जवानों के लिए दो अस्थायी केबिन का निर्माण और अन्य काम किए जाएंगे।
अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. राजकुमार पटेल ने बताया कि सीआइएसएफ और पुलिस द्वारा लंबे समय से ताजमहल पर यमुना किनारा की तरफ सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता बनाने की मांग की जा रही थी। पूर्व में की गई कंटीले तारों की बाड़ कुछ जगहों से टूट भी गई थी। इसलिए वहां लोहे की जाली लगाई जा रही है। कुछ अन्य काम भी किए जाएंगे।
यमुना किनारा पर कंसेर्टिना वायरिंग की ऊंचाई को पांच से बढ़ाकर आठ फुट किया गया है। इसके साथ ही जाल लगाया गया है। यमुना में पनपने वाले कीड़े रोशनी किए जाने पर ताजमहल की ओर आकर्षित होते हैं। इसलिए यहां कम क्षमता की एलईडी लाइट लगाई गई थीं। प्रत्येक पोल पर एक लाइट लगी है, जिसे बढ़ाकर अब दो किया जाएगा।