आगरा
बांकेबिहारी की नगरी में होली केवल खेली ही नही जाती बल्कि इसे गाया भी जाता है। होली का उल्लास न केवल वातावरण में छाएगा, ये उल्लास स्वाद में भी नजर आएगा। रंगभरनी एकादशी से जब ठाकुर बांकेबिहारी लाल सुबह से शाम तक भक्तों संग होली खेलेंगे, तो होली के रसिया और पदों का गायन इस होली के उल्लास को बढ़ाता नजर आएगा। लेकिन, बहुत कम लोगों को ही मालूम होगा कि यहां होली केवल रंगों और गायन में ही नहीं स्वाद में भी बसती हैं। ठाकुर जी जब पूरे दिन होली खेलते हैं, तो भोग में उन्हें मावा की गुजिया और रसभरी गर्म जलेबी परोसी जाती है। गर्म जलेबी का प्रसाद होली पर ही ठाकुरजी को परोसा जाता है। इसके पीछे वैज्ञानिक धारणा भी है कि रंगों से होली खेलने के बाद गले में जो रंग उतरता है, गर्म जलेबी के साथ वह नसों में उतर जाता हैं।
ठा. बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत श्रीनाथ गोस्वामी बताते हैं रंगभरनी एकादशी 14 मार्च को मंदिर में पांच दिवसीय रंगीली होली की शुरुआत होगी। ऐसे में सुबह और शाम दोनों ही समय ठाकुरजी अपने भक्तों संग जमकर होली खेलेंगे। होली में बरसने वाले रंग और गुलाल सांस के जरिए गले तक पहुंच जाते हैं, जो संक्रमण का कारण बनते हैं। यही कारण है कि होली के दिनों में ठाकुरजी को भोग में गर्म जलेबी विशेष तौर पर परोसी जाती है। ताकि गर्म जलेबी की चासनी के साथ गले की नसों में जमा गुलाल और रंग साफ हो जाए और संक्रमण न हो सके। यही प्रसाद भक्तों को भी बांटा जाता है। वैज्ञानिक आधार भी है, इसीलिए ब्रज में होली खेलने के बाद जलेबी का भोग हर व्यक्ति पाता है। ताकि गले में रंगों का संक्रमण न हो सके। मावा की गुजिया इस मौसम में स्वाद बढ़ाती है। इसलिए होली की विशेष मिठाई के तौर पर ठाकुरजी को मावा की गुजिया भी भोग में अर्पित की जाती है। मावा की गुजिया और गर्म जलेबी का भोग तीर्थनगरी के सभी मंदिरों में आराध्य को अर्पित किया जाता है।
Holi 2022: होली के रंगों की तरह बांके बिहारी का भाेग भी होगा खास, ये रहेगी पकवानों की लिस्ट
Advertisements
Advertisements