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यहां तो गुमनाम पार्टियों ने भी कमाया नाम, पढ़ें 80 के दशक तक आगरा ने किन्हें दिया था मौका

आगरा

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लोकतंत्र के पर्व पर मतदाता एक बार फिर अपनी आहुति देंगे। कोई मतदाता किसी पार्टी की विचारधारा के आधार पर अपने मताधिकार का प्रयोग करेगा तो कोई किसी प्रत्याशी के आधार पर। चुनावी समर में विभिन्न पार्टियों के दावेदार और प्रत्याशी सक्रिय हो गए हैं। मगर, जिले की कई विधानसभा सीटों पर ऐसी पार्टियों के प्रत्याशियों ने भी विजय पताका फहराया है, जो अब यहां के मतदाताओं के लिए गुमनाम सी हैं।

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वर्तमान में मतदाता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), राष्ट्रीय लोकदल (रालोद), आम आदमी पार्टी (आप) आदि पार्टियों के प्रत्याशियों को ही वरियता देते हैं। मगर, 80 के दशक तक कई ऐसी पार्टियों के प्रत्याशियों पर भी यहां के मतदाताओं ने अपना प्यार लुटाया, जिन दलों के बारे में वर्तमान मतदाता जानते तक नहीं होंगे। हालांकि मतदाताओं ने उन्हें एक या दो ही बार मौका दिया। वह भी तब मौका दिया, जब कांग्रेस की लहर थी। इन पार्टियों के प्रत्याशियों ने कांग्रेस के प्रत्याशियों को शिकस्त देकर अपनी जीत का परचम लहराया। हालांकि इसके बाद ये पार्टियां फिर से गुमनामी के अंधेरे में चली गईं।

प्रमुख पार्टियां, जिनके प्रत्याशी चुनाव जीते

– जनता पार्टी के प्रत्याशी चंद्रभान मौर्य वर्ष 1977 के चुनाव में एत्मादपुर सीट से चुनाव जीते थे। इसी चुनाव में ग्रामीण सीट (पूर्व में यह सीट दयालबाग थी) से श्याम दत्त पालीवाल चुनाव जीते। इस चुनाव में खेरागढ़ सीट से गुरुदत्त सोलंकी चुनाव जीते।

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– जनता दल के प्रत्याशी चंद्रभान मौर्य वर्ष 1989 और 1991 के चुनाव में एत्मापुर सीट से चुनाव जीत चुके हैं। इन्हीं दोनों चुनाव में ग्रामीण सीट (पूर्व में यह सीट दयालबाग थी) विजय सिंह राणा चुनाव जीते थे। वर्ष 1989 के चुनाव में खेरागढ़ सीट से मंडलेश्वर सिंह चुनाव जीते।

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