आगरा
विधानसभा चुनाव 2022 सिर्फ सामाजिक और जातिगत आंकड़ों पर आधारित नहीं होगा। इसमें व्यापारिक मुद्दों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। जो राजनीतिक पार्टी व्यापारियों को साधकर आगे बढ़ने में सफल होगी, उसे व्यापारी बाहुल्य आगरा जिले में बढ़त मिलने की पूरी संभावना है।
इसकी आहट अभी से दिखाई देना शुरू भी हो गई है। विभिन्न व्यापारिक संगठनों के साथ अखिल भारतीय वैश्य महासभा और अग्रवाल महासभा जैसे संगठनों ने भी पिछले दिनों बैठक कर राजनीति में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित कराने के लिए दम भरा था। चुनाव की घोषणा के बाद टिकट बंटवारे तक वह खुद को अनदेखा न करने की याद दिला रहे हैं, जिसके बाद वह निर्णायक कदम उठाने की चेतावनी भी दे रहे हैं।
इन सीटों पर है सीधी दावेदारी
आगरा जिले की नौ सीटों में से वैसे तो सभी पर व्यापारी वर्ग का अच्छा दबदबा है। वह हर सीट पर निर्णायक भूमिका में हैं, विधानसभा चुनाव 2017 में आगरा उत्तर से पहले जगन प्रसाद गर्ग और उनकी मृत्यु के बाद पुरुषोत्तम खंडेलवाल जीते, वहीं खेरागढ़ से महेश कुमार गोयल चुनकर विधानसभा पहुंचे थे। इस बार भी इन्हीं सीटों पर वैश्य समाज सीधे तौर पर अपनी सीधी दावेदारी ठोक रहा है, नामांकन के बाद स्पष्ट होगा कि कौन-सी पार्टी यहां से अपना कौन-सा प्रत्याशी उतारती है।
यह मुद्दे है हावी
व्यापारी वर्ग पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी और अब कोरोना के बाद से बुरी तरह प्रभावित व्यापार से परेशान है, इससे उनकी आय प्रभावित हुई है। वहीं सरकार की सख्ती से टैक्स और अन्य औपचारिकताएं भी उनकी मुश्किल बढ़ा रही हैं। आयकर विभाग का नया पोर्टल भी परेशानी का सबब बना हुआ है। ऐसे में अन्य राजनीतिक दल इन सभी मुद्दों को चुनावी मुद्दा बनाकर अपनी जमीन तैयार करने की कोशिश अवश्य करेंगे।