आगरा
दुनिया के हर बेटे को मां-बाप का प्यार मिलने का अधिकार है। हालात का मारा करीब पांच साल का एक बालक अपनों से जुदा हो गया। करीब चार साल इंतजार करने के बाद भी स्वजन बालक को लेने नहीं आए। उसके बेहतर भविष्य के लिए गोद देने की प्रक्रिया शुरू की गई। एक साल पहले रोम के दंपती की बालक से मैचिंग हुई। वह उसकी बातों से इतना प्रभावित हुए कि बेटा बनाकर रोम ले जाने का फैसला कर लिया।
नोएडा में करीब चार साल पहले बालक लावारिस हालत में भटकता हुआ मिला था। सामाजिक संगठन ने उसे शेेल्टर होम भेज दिया। वहां पर काउंसलिंग के दौरान बालक ने बताया कि वह इलाहाबाद का रहने वाला है। पुलिस और सामाजिक संगठनों के माध्यम से उसके स्वजन की तलाश हुई। इलाहाबाद समेत अन्य शहरों में उसके पंफलेट चस्पा किए गए। खोजबीन के बावजूद बालक के स्वजन नहीं मिले। स्वजन द्वारा कोई रिपोर्ट भी दर्ज नहीं कराई गई थी। जिससे उनके बारे में जानकारी मिल सकती।
जिसके बाद राजकीय शिशु एवं बाल गृह ने केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) के माध्यम से उसे गोद देने की प्रक्रिया शुरू की। करीब एक साल पहले रोम के दंपती से उसकी मैचिंग हुई। उसे गोद लेने वाले पिता बहुराष्ट्रीय कंपनी में अधिकारी और मां सरकारी विभाग में अधिकारी हैं। दंपती वीडियो काल के द्वारा बालक के संपर्क में रहे। उससे लगातार बातचीत करते रहे।
वह बालक की बातचीत व उसकी मेधा से काफी प्रभावित हुए। दंपती का कहना था कि यह बालक ही बेटा बनकर उनके घर आएगा। दंपती ने उसे गोद लेने की प्रक्रिया पूरी करने की कार्यवाही शुरू की। बालक का पासपोर्ट आदि से संबंधित प्रक्रिया पूरी होने के बाद दंपती भारत पहुंचे। वह अब उसे अपने साथ ले जाने की तैयारी कर रहे हैं।
माता-पिता और बेटे के बीच भाषा नहीं बन सकी बाधा
दुनिया में हजारों भाषाएं हैं, लेकिन प्यार की बस एक जुबां हैं। जिसे सब जानते हैं। कुछ ऐसा ही बालक और उसे गोद लेने वाले राेम के माता-पिता के बीच हुआ। भाषा उनके बीच बाधा नहीं बन सकी। माता-पिता और बालक मोबाइल पर एक दूसरे से बातचीत के दौरान गूगल की मदद से भाषा अनुवाद करते। जिससे एक दूसरे से की गई बातचीत को अपनी भाषा में समझ लेते थे।