धूप से भरा मन।
कुहासे के भीतर समाया ।।
सुबह की गली में।
किसने गले से लगाया।।
भीगी है सड़क अब धूप में ।
साँसे भरती गली की तरह ।।
नदी के किनारे घाट के नीचे ।
बहते पानी की महक।।
कहाँ सुनायी देती।
चिड़ियों की चहक शायद कोई कसक . . .
राजीव कुमार झा
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