राजनीति अर्थात ऐसी नीतियों का गठन करना जो देश के हित में हों और देश का संचालन करने में सहायक सिद्ध हो।
लेकिन आज की राजनीति इं पैमाने पर खरी उतरती नहीं दिखती। आज राजनीति का मतलब सिर्फ पैसा ताकत और शोहरत में सिमट कर रह गया है। यदि हम गौर से देखें तो हिंदुस्तान में राजनीति शायद ही कभी देशहित में कि गई होगी। लेकिन एक विशेष जाती के नाम पर राजनीति, एक परिवार के नाम पर राजनीति या एक व्यक्ति के नाम पर राजनीति के अनेकों उदाहरण आप देख सकते हैं।
लेकिन ये बहुत ही चिंता कि बात है कि आज भी हमारे देश में शायद ही कोई नेता हो जो देश के लिए राजनीति कर रहा हो।
जो देश अभी पूर्ण रूप से विकसित नहीं है वहां धर्म और जाति के नाम पर वोट करना और मांगना अपने आप में शर्म कि बात है।
एक सच्चे नेता को क्या चाहिए कि वो देश के बारे में विचार करे न कि अपने सगे संबंधी और अपने बारे में, लेकिन देखने को यही मिलता है। की देश के नेता देश के बारे में कम और अपने बारे में ज़्यादा सोचते हैं।
क्योंकि इसके अलावा और कोई कारण नहीं हो सकता किसी भी नेता की इतनी लंबी चौड़ी जयजाद होने का। जो नेता चुनाव जीतने से पहले तक एक आम आदमी जैसा उसकी संपत्ति भी इतनी नहीं थी लेकिन चुनाव जीतने के बाद उसकी ओर उसके रिश्तेदार, परिवार आदि की संपत्ति में एक आश्चर्यजनक वृद्धि देखने को मिलती है।
दरअसल ये किसी एक व्यक्ति विशेष की बात नहीं है ये हम सबकी बात है। हम सभी देशवासी अधिकतर अपने बारे में ही सोचते हैं और इतना ज़्यादा सोचते हैं कि देश को भी नजंदाज कर देते हैं।
देश की सुरक्षा, सभ्यता और विकास को ताक पर रख देते हैं। अगर ऐसा ही हमेशा रहा तो भारत देश कभी आगे नहीं बढ़ पाएगा और न ही कभी विकसित हो पाएगा।
एक बार गौर जरूर करें ये अकेले किसी नेता की मानसिकता नहीं है, ये हम सबकी मानसिकता है। बस अंतर इतना है कि नेता इस मानसिकता को लागू कर सकता है वो इतना सक्षम हो चुका है और हम अभी नहीं कर सकते है।
राजनीति या देश को धोखा।
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