उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित 69 हज़ार शिक्षक भर्ती मामले में 37 हजार 339 पदों की भर्ती को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है। शिक्षामित्रों को बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के मौजूदा कट ऑफ को सही ठहराया है। उन्होंने कहा कि अपीलकर्ता शिक्षामित्रों को नियुक्ति का मौका अगली भर्ती में दिया जाए। यह कहते हुए सर्वोच्च अदालत ने शिक्षामित्रों की याचिका को खारिज कर दिया।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में हुई बहस के बाद कोर्ट ने 24 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि परीक्षा के बीच में क्या कटऑफ फीसदी बदलकर 60-65 फीसदी किया जा सकता है? इस मामले में शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और सरकार के फैसले को चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ताओं की क्या थी दलील
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली बेंच के सामने शिक्षामित्रों की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव धवन और राकेश द्विवेदी की ओर से दलील दी गई थी कि असिस्टेंट टीचर की भर्ती परीक्षा में सामान्य वर्ग के लिए कटऑफ 45 फीसदी और रिजर्व कैटगरी के लिए 40 फीसदी रखा गया था, लेकिन पेपर के बीच में उसे बढ़ा दिया गया और उसे 65-60 फीसदी कर दिया गया। यह गैर कानूनी कदम है क्योंकि पेपर के बीच में कटऑफ नहीं बढ़ाया जा सकता है।
इसके साथ ही यह दलील दी गई थी कि बीएड स्टूडेंट इस असिस्टेंट टीचर की परीक्षा के लिए पात्रता नहीं रखते क्योंकि उन्होंने ब्रिज कोर्स नहीं किया है। असिस्टेंट टीचरों के लिए ये जरूरी है कि आवेदक छह महीने का ब्रिज कोर्स करें।