HomeMera Lekhदीपावली गणेश और लक्ष्मी की पूजा का त्योहार है

दीपावली गणेश और लक्ष्मी की पूजा का त्योहार है

दीपावली से कुछ दिन पहले सारे लोग अपने घर द्वार गलियों और मुहल्लों की साफ सफाई में जुट जाते हैं और दुकानदारगण हाट बाजार में अपने दुकानों की भी साफ सफाई और उसका रंगरोगन करते हैं . इस प्रकार यह पवित्रता से मनाया जाता है और इसके आयोजन में सजावट की भावना का भी समावेश होता है

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आजकल दीपावली में बच्चों के बीच पटाखों को फोड़ने का खूब प्रचलन हो गया है और इस दिन आतिशबाजी से हरेक साल दुर्घटनाएँ होती हैं और काफी बच्चों के हाथ और शरीर के अन्य अंग जल जाते हैं . आतिशबाजी से फेफड़ों को भी नुकशान पहुँचता है और इसके प्रचलन पर रोक लगायी जानी चाहिए

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हमारे देश की कृषि संस्कृति में दीपावली रबी फसल की बुआई की खुशी में मनाया जाने वाला त्योहार है और इस फसल की अच्छी पैदावार पर ही सदियों से हमारे देश की सुख समृद्धि निर्भर करती रही है . दीपावली इस प्रकार किसानों की खुशियों का त्योहार है और इस दिन सबके मन का अँधेरा दूर हो जाता है . सारे लोग नयी आशा और उमंग के साथ अपने कार्यों में संलग्न होते हैं

दीपावली खुशियों का त्योहार है और इसे आतिशबाजी या बिजली बल्बों की जगमगाहट का जश्न नहीं समझा जाना चाहिए . यह त्योहार प्रकृति के साथ मनुष्य के गहन रिश्तों की याद दिलाता है और जीवन के गहन अँधेरे में भी मन में रोशनी की किरन को कायम रखने का संदेश देता है . मनुष्य के जीवन में दीप को आशा का प्रतीक माना जाता है और इस दिन रात्रि में जलाये जाने वाले असंख्य दीपक हमारे जीवन में अनंत आशाओं के प्रतीक हैं . पौराणिक कथा के अनुसार इसी पावन दिवस को भगवान राम लंका में रावण पर विजय प्राप्त करके वापस अयोध्या लौटकर आये थे और रामराज्य स्थापित हुआ था . इस प्रकार दीपावली रामराज्य की स्थापना का त्योहार है . यह अधर्म और अनैतिकता पर मनुष्यता और सदाचार की जीत का त्योहार है

इस त्योहार में लड़कियाँ अपने घरों में सुंदर घरौंदे बनाती हैं और वहाँ विविध प्रकार के भुने अनाज को मिट्टी के बने रसोई के बर्तन रूपी खिलौनों में डालकर अपने भाइयों के बीच उसे बाँटती हैं . अपने घरों में दीप प्रज्वलन के बाद लड़कियाँ चूल्हा चुकरी का यह खेल खेलती हैं और बेसन के बने लड्डुओं से गणेश लक्ष्मी की पूजा करती हैं

दीपावली से एक – दो दिन पहले धनतेरस के दिन बाजार में जाकर सोने चाँदी के आभूषण के अलावा पीतल और कांसे के बर्तनों को खरीदने की परंपरा है . आजकल धनतेरस के दिन इलेक्ट्रोनिक्स के घरेलू सामान और स्कूटर – बाइक की खरीदारी भी करना लोग पसंद करते हैं

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(राजीव कुमार झा)___

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