HomeUttar PradeshAgraसिपाही हत्याकांड में दो आईपीएस के साथ पांच टीमें जुटीं

सिपाही हत्याकांड में दो आईपीएस के साथ पांच टीमें जुटीं

फिर भी पुलिस खाली हाथ, आरोपी बेसुराग

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आगरा में सिपाही सोनू चौधरी हत्याकांड में तीन दिन भी पुलिस अंधेरे में तीर चलाती रही। दो आईपीएस और पांच टीमें जांच में जुटी हैं। इसके बावजूद न तो खनन माफिया का पता चला न उसके गुर्गों का। इतनी जानकारी तक नहीं हो पाई कि हत्यारोपी खेरागढ़ और सैंया के किसी गांव के हैं या फिर राजस्थान के धौलपुर क्षेत्र के। वारदात के समय और भी पुलिसकर्मी मौजूद थे, इसके बावजूद हत्यारोपियों के स्केच तक तैयार नहीं कराए जा सके। यह हाल तब है जबकि बालू की ट्रैक्टर-ट्रॉली रोकने पर पुलिस पर पहले भी हमले हो चुके हैं। इसके बावजूद खनन माफिया की कोई सूची पुलिस ने तैयार नहीं की।

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खेरागढ़ के गांव सोन के बड़ा नगला में रविवार तड़के चार बजे सिपाही सोनू चौधरी की हत्या कर दी गई थी। सोनू ने अवैध बालू खनन कर ले जा रहे लोगों को पकड़ने की कोशिश की थी। उन्होंने सोनू पर ट्रैक्टर चढ़ा दिया था। उस समय और भी पुलिसकर्मी मौजूद थे। इसके बावजूद हत्यारोपियों की पहचान नहीं हो पाई। जिस रास्ते पर हत्या हुई, यहां पहले से रेत से लदे ट्रक और ट्रैक्टर ट्रॉलियां चलती हैं। इसके बावजूद पुलिस को खबर नहीं कि सिपाही की हत्या किसने की ?

पांच टीमें और दो आईपीएस लगे… नतीजा सिर्फ
हत्यारोपियों का पता कर उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की पांच टीमें लगी हैं। इनका नेतृत्व दो आईपीएस अधिकारी कर रहे हैं एसपी सिटी बोत्रे रोहन प्रमोद और एसपी पश्चिम रवि कुमार। इसके बावजूद पुलिस यह मालूम नहीं कर पाई कि सिपाही की हत्या किसने की ? घटना से ठीक पहले से वीडियो भी पुलिस को मिले हैं। गांव के लोगों ने भी कई जानकारी दी हैं। सर्विलांस की टीम और क्राइम ब्रांच को भी लगाया गया है। इन सबके बावजूद नतीजा सिर्फ है।

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खेरागढ़ में खाकी पर यह पहला हमला नहीं है। पिछले साल चार नवंबर को दरोगा निशामक त्यागी को गोली मारी थी। घटना सदपुरा पीपल में हुई थी। जैसे सोनू चौधरी ने रेत लदी ट्रैक्टर -ट्रॉली को रोकने की कोशिश की, वैसे ही निशामक ने किया था। ट्रैक्टर ट्रॉली रुकते ही रेत लेकर जा रहे लोगों ने उन्हें गोली मार दी थी। इसके बावजूद पुलिस ने ऐसा कोई अभियान नहीं चलाया कि अवैध खनन करने वाले लोग पकड़े जाएं।

दरोगा निशामक त्यागी को गोली मारने के मामले में भी पूरा गिरोह नहीं पकड़ा जा सका था। सिर्फ वे लोग पकड़े गए जो खनन कर रेत ले जा रहे थे, खनन कराने वालों को पुलिस ने आरोपी ही नहीं बनाया। पिछले साल खेरागढ़ में ही 18 अक्तूबर में दो सिपाहियों पर हमला हुआ था। इससे पहले छह जून को सिपाही संजीव को गोली मारी गई।

खनन माफिया घोषित नहीं हुआ है : एसपी
खनन करने वाले लोग पुलिस पर हमले किए जा रहे हैं। पुलिस हर बार कहती है कि पूरे रैकेट को ध्वस्त कर देंगे, गुर्गे ही नहीं माफिया तक को पकड़ेंगे लेकिन मामला ठंडा होते ही कार्रवाई नहीं होती। इस पर बात की एसपी पश्चिम रवि कुमार से…

सवाल : सिपाही की हत्या के आरोपी क्यों नहीं पकड़े जा रहे?

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जवाब : हम कोशिश कर रहे हैं, टीमें लगी हैं, जल्द ही सुराग मिलने की उम्मीद है।
सवाल : यहां पहले भी पुलिसवालों की हत्या और हमले हो चुके हैं, आखिर क्यों माफिया चिह्नित नहीं किए जा रहे?
जवाब : पहले की घटनाएं खुल चुकी हैं, एक माफिया चिह्नित किया है, वह धौलपुर का हेत सिंह है, उस पर गैंगस्टर लगा है लेकिन माफिया घोषित होना बाकी है।
सवाल : जिन रास्ते से अवैध बालू आती है, वहां गश्त क्यों नहीं है?
जवाब : खनन करने वाले चारों ओर नजर रखते हैं। पुलिस के आते ही भाग जाते हैं, इस कारण हाथ नहीं आ रहे। अब कड़ी कार्रवाई होगी।
सवाल : क्या पुलिस का कोई नेटवर्क ही नहीं है जो पहले से कार्रवाई नहीं होती?
जवाब : पहले कार्रवाई हुई है, अब और सख्ती होगी। हम लोगों की मदद भी ले रहे हैं। जल्द नतीजे आएंगे।

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