बिहार चुनाव 2020 कोविड-19 महामारी के बीच होने वाला पहला विधानसभा चुनाव होगा। भारत निर्वाचन आयोग ने इसकी तारीखों की घोषणा कर दी है। बिहार विधानसभा का कार्यकाल इस साल 29 नवंबर तक है। कई राजनीतिक दलों ने आयोग से महामारी के मद्देनजर चुनाव स्थगित करने को कहा था। हालांकि राज्यसभा के लिए चुनाव जून में हुए थे।
अगस्त में, चुनाव आयोग ने कोरोना वायरस महामारी के बीच चुनाव और उपचुनाव कराने के लिए एक मानक दिशानिर्देश जारी किए थे। हालांकि मुख्य चुनाव अधिकारी सुनील अरोड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार विधानसभा चुनावों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस बार चुनाव प्रचार अभियान में ज्यादा शोर-शराबा नहीं होगा।
चुनाव आयोग के दिशानिर्देश
बिहार में इस बार चुनाव का समय बढ़ा दिया गया है, इस बार चुनाव के लिए मतदान सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक होगा। वहीं कोरोना के मरीजों को मतदान करने के लिए अंत में समय दिया गया है।
मतदान के समय कोरोना पीड़ित वोट नहीं डाल सकेंगे। इसके लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी। हर पोलिंग बूथ पर साबून, हैंड सैनिटाइजर जैसी चीजों की व्यवस्था की जाएगी।
डोर-टू-डोर अभियान प्रतिबंधों के अधीन है। उम्मीदवार सहित सिर्फ पांच लोगों को डोर-टू-डोर चुनाव प्रचार के लिए जाने की अनुमति दी गई है। हालांकि इसमें सुरक्षा कर्मियों की संख्या को शामिल नहीं किया गया है।
वाहनों के काफिले को 10 वाहनों के बजाय हर पांच वाहनों के बाद तोड़ा जाना चाहिए। वाहनों के दो काफिले के बीच का अंतर 100 मीटर के अंतराल के बजाए आधा घंटा होना चाहिए।
हर व्यक्ति चुनाव-संबंधी हर गतिविधि के दौरान फेस मास्क पहनेगा।
सभी व्यक्तियों की थर्मल स्क्रीनिंग होगी। हर बूथ पर सैनेटाइजर, साबुन और पानी उपलब्ध कराना होगा।
बूथ और मतगणना केंद्र के रूप में बड़े हॉल को चुना जाना चाहिए ताकि सामाजिक डिस्टेंसिंग को बनाए रखा जा सके।
नामांकन फॉर्म ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा। इसे ऑनलाइन भरा जा सकता है और जमा करने के लिए इसका प्रिंट निकाला जा सकता है।
शपथ पत्र भी ऑनलाइन भरा जा सकता है।
उम्मीदवार जमानत राशि ऑनलाइन जमा कर सकते हैं हालांकि नकद जमा कराने का विकल्प भी होगा।
नामांकन जमा करने के लिए उम्मीदवार के साथ केवल दो व्यक्ति ही जा सकते हैं।
नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया के दौरान केवल दो वाहनों की अनुमति होगी।
डिजिटल तरीके से ही प्रचार किया जाएगा। चुनाव प्रचार के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अनिवार्य होगा।
मतगणना हॉल में 7 से ज्यादा मतगणना टेबल की अनुमति नहीं होनी चाहिए। इसलिए, एक निर्वाचन क्षेत्र के मतों की गिनती के लिए तीन से चार हॉल लिए जा सकते हैं।
बिहार के एक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1,500 से घटाकर 1,000 कर दी गई है।