कुलश्रेष्ठ नर्सिंगहोम में डॉक्टर की लापरवाही के चलते एक मासूम की जान चली ही गई। परिजनों ने शिवम् कुमार पिता रामसिंह (2) को खून की कमी के कारण सोमवार को कुलश्रेष्ठ नर्सिंगहोम में भर्ती कराया गया था।
मासूम ने बुधवार को दोपहर करीब तीन बजे दम तोड़ दिया। यदि ब्लड चढ़ाते समय डॉक्टर की घोर लापरवाही नहीं होती तो शायद उसकी जान बच गई होती।
डॉक्टर मरीजों को ब्लड चढ़ाने में किस तरह की लापरवाही बरतते हैं इसका जीता जागता उदाहरण है। घोर लापरवाही।
उसे कुलश्रेष्ठ नर्सिंगहोम में भर्ती कराया गया था। पहले मासूम के परिजन ब्लड बैंक में खून के लिए दर-दर भटक रहे ।
ब्लड मिल भी गया तो उसे चढ़ाने के लिए डॉक्टर लापरवाही बरतते रहे। बड़ी मुश्किल से बुधवार दोपहर ब्लड चढ़ा भी तो डॉक्टर उसकी देख-रेख में कोताही बरते नजर आए।
आखिर डॉक्टरों की लापरवाही बच्चे की जान लेकर मानी।
बुझा घर का चिराग मासूम की मौत से उसके घर का चिराग भी बुझ गया। मां व उसकी एक बहन का रो-रोकर बुरा हाल है। लोगों का आरोप है कि यदि समय पर सही इलाज मिलता तो आज शिवम् जिंदा होता।
तत्काल किया डिस्चार्ज- मरीज की मौत के बाद डॉक्टर इतने सजग हुए कि मरीज को तत्काल डिस्चार्ज कर दिया। डॉक्टरों को आशंका थी कि कहीं मरीज की मौत होने के बाद अस्पताल में बवाल न हो जाए।
शाम को उसकी छुट्टी भी दे दी। शव का पोस्टमार्टम भी नहीं किया। शव का पोस्टमार्टम होता तो मरीज के परिजनों को प्राकृतिक आपदा के तहत शासन की ओर से मुआवजा भी मिल सकता था।
अस्पताल के जिम्मेदार किस कदर बेपरवाह हैं या फिर डॉक्टर भी उन्हें गुमराह करने में तुले हुए हैं यह समझ से परे है। जबकि अस्पताल के प्रत्येक गतिविधि उनकी नजरों से गुजरनी चाहिए।