राज्यसभा में रविवार को किसानों से जुड़े तीन विधेयकों को पेश किया गया। इन विधेयकों को लेकर विपक्ष और किसान संगठन लगातार अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं। वहीं, जब इन विधेयकों को संसद के ऊपरी सदन में पेश किया गया, तो कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियों ने इसका विरोध किया।
दूसरी तरफ, वाईएसआर कांग्रेस ने किसान विधेयकों का समर्थन किया है। सदन में वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य वी विजयसाई रेड्डी ने विधेयकों के विरोध को बेतुका करार दिया और कांग्रेस की जमकर आलोचना की।
रेड्डी ने सदन में कांग्रेस का चुनावी घोषणापत्र लहराया और कहा कि यह पार्टी किसान हित के नाम पर पाखंड कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भी इसी तरह के वादे अपने घोषणापत्र में किए थे। वर्तमान विधेयकों में भी इन वादों को रखा गया है।
वाईएसआर सांसद ने अपने भाषण के दौरान कांग्रेस को लेकर तीखे शब्दों का इस्तेमाल किया, जिससे पार्टी नेता हमलावर हो गए। भाषण के दौरान सदन में हंगामा मच गया। हालांकि, पीठासीन डॉ एल हनुमंतय्या ने उन शब्दों को सदन की कार्यवाही से निकालने का निर्देश दिया। दूसरी तरफ, कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने रेड्डी को अपने बयानों के लिए माफी मांगने को कहा।
वहीं, राज्यसभा में रविवार को कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समाप्त करने और कॉरपोरेट जगत को फायदा पहुंचाने के लिए दोनों नए कृषि विधेयक लेकर आई है। हालांकि सरकार ने इसका खंडन करते हुए कहा कि किसानों को बाजार का विकल्प और उनकी फसलों को बेहतर कीमत दिलाने के उद्देश्य से ये विधेयक लाए गए हैं।
राज्यसभा में कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक किसानों की आत्मा पर चोट हैं, यह गलत तरीके से तैयार किए गए हैं तथा गलत समय पर पेश किए गए हैं। पार्टी इस विधेयक का विरोध करती है। पंजाब और हरियाणा के किसानों का मानना है कि ये उनकी आत्मा पर हमला है। इन विधेयकों पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा है।
बाजवा ने आरोप लगाया कि सरकार का इरादा एमएसपी को खत्म करने का और कॉरपोरेट जगत को बढ़ावा देने का है। उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार ने नए कदम उठाने के पहले किसान संगठनों से बातचीत की थी? उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक देश के संघीय ढांचे के साथ भी खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि जिन्हें आप फायदा देना चाहते हैं, वे इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में नए कानूनों की जरूरत क्या है। उन्होंने कहा कि देश के किसान अब अनपढ़ नहीं हैं और वह सरकार के कदम को समझते हैं।