खांटी देसी स्वभाव, भाषा, चरित्र और व्यवहार के दिग्गज पूर्व राजद नेता (राजनीतिज्ञ नहीं) रघुवंश बाबू हमेशा यही चाहते थे, बंधनमुक्त रहना। लंबे अरसे तक राज्य और केंद्र की राजनीति में सक्रिय रहे। कई बार मंत्री भी रहे लेकिन उन्हें भाया हमेशा एक साधारण सांसद रहना। पूछने पर कहते थे- ‘मंत्री के रूप में बंध जाता हूं, जो कहना चाहता हूं वह कह नहीं सकता, प्रश्न पूछ नहीं सकता, बस सरकार की राग में गा सकता हूं। कभी कभी बहुत बेचैनी होती है।’ जीवन से मुक्ति से पहले वह दल से भी मुक्त हो गए।
देश के पहले गणराज्य वैशाली संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे रघुवंश प्रसाद सिंह को एक राजनीतिज्ञ इसलिए नहीं कहा जा सकता है क्योंकि उन्होंने कभी राजनीति की नहीं। कभी दिल से, कभी श्रद्धा के साथ कभी कर्तव्य के नाते अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल की लाइन का पालन किया। यही कारण है कि कई बार घुटन और कई बार प्रलोभन के बावजूद उन्होंने कभी राष्ट्रीय जनता दल का साथ नहीं छोड़ा। तब भी नही जब उन्होंने पार्टी में परिवारवाद के बाद ऐसी प्रजातियों को भी खुद से आगे बढ़ते देखा जिनकी विशेषता चाटुकारिता रही है। लेकिन वह अलग माटी के थे।