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रेप पीड़िता समेत कई पत्रकारों और यूपी के चर्चित आईपीएस अधिकारी का नाम लेते हुए पत्रकार ललित मोहन ने दी आत्महत्या की धमकी

बलात्कार-मुक्त समाज हम बना तो सकते हैं, लेकिन उसकी शुरुआत कैसे और कहां से हो? यह बहुत बड़ा विषय है, जब लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाने वाला पत्रकारिता ही आरोपों और सवालों के घेरे में होI
गौतमबुद्धनगर में कार्यररत एक पत्रकार ललित मोहन ने रेप पीड़िता समेत कई अन्य पत्रकारों और यूपी के चर्चित आईपीएस अधिकारी का नाम लेते हुए सोशल मीडिया के वाट्सएप ग्रुप पर एक पोस्ट की है जिसमे ललित मोहन ने आत्महत्या की धमकी दी है। खुद को घिरता देखकर रेप आरोपी पत्रकार ने आत्महत्या की धमकी दे कर इमनोशल कार्ड खेला है।
गौतमबुद्धनगर के इंडिया न्यूज चैनल में कार्यरत पत्रकार ललित मोहन पर कुछ दिन पहले एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया था। पीड़ित महिला पत्रकार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए थानों के चक्कर काटती रही थी लेकिन उसकी शिकायत दर्ज नहीं की गई थी। आखिर में रेप पीड़िता ने आईपीएस अधिकारी अजयपाल शर्मा से मदद की गुहार लगाई थी। तत्कालीन एसएसपी गौतमबुद्धनगर डॉ अजयपाल शर्मा ने महिला की शिकायत का संज्ञान लेते हुए तत्काल आरोपी पत्रकार के खिलाफ कार्रवाई भी की थी।
वहीँ पीड़ित महिला का कहना है कि जब अपने मंसूबो में रेप आरोपी पत्रकार ललित मोहन कामयाब नहीं हो पाया तो इस लिए यह इस तरह से इमोशनल कार्ड खेल रहे है।
आरोपी पत्रकार ललित मोहन वाट्सएप ग्रुप पर एक पोस्ट डालकर आईपीएस अजय पाल शर्मा समेत कई पत्रकारों और पीड़िता का नाम लेते हुए आत्महत्या की धमकी दी है। आरोपी पत्रकार ने अपनी पोस्ट की हेडिंग दी है, सच कभी पराजित नहीं होता, ये मुझे अच्छी तरह से मालूम है। इसके बाद ललित मोहन अपनी कहानी गढ़ते हुए लिखता है कि, आज मैने सोचा कि झूठ को सच और सच को झूठ सिर्फ और सिर्फ पैसा ही कर सकता है। आज के युग में, वो आज क्यो बोल रहा हूं क्योंकि आज थक गया हूं। सच की लड़ाई लड़ के, अब लगता है कि मेरी मौत से ही डॉ अजय पाल शर्मा(आईपीएस), इंस्पेक्टर मनोज पंत और रेप पीड़िता के साथ कई पत्रकार सदस्यों को राहत मिलेगी। आरोपी पत्रकार आगे लिखता है कि, इनमे से कुछ ऐसे लोग हैं जिनके पास पैसे की कमी नहीं है। चंद दिनों में सब कुछ करके अपार पैसा ये लोग कमा सकते हैं। किसी के ऊपर कुछ भी करा सकते हैं। योगी जी और मोदी जी भी कुछ करले लेकिन ऐसे लोगों पर कभी भी कार्यवाही नहीं हो सकेगी। क्योंकि इस सरकारी तंत्र में दिमाग लग चुकी है भ्रष्टाचार की और जो भी भ्रष्टाचार से लड़ेगा उसे सुसाइड ही करना होगा इसकी वजह है शैतानों की संख्या अधिक है इंसानों की संख्या कम है। आज हाईकोर्ट से जब मुझे सूचना मिली की अपने स्वार्थ के लिए इंसान कुछ भी कर सकता है खासतौर से पैसे के लिए तो मुझे बहुत अजीबो गरीब लगा कि इस दुनिया में लगता है पैसा ही सब कुछ है। इंसानियत की कोई औकात नहीं है खासतौर पर पत्रकारिता में जहां आज के समय में लोग इस पवित्र पेशे से मात्र इसलिए जुड़े हैं कि पैसा कैसे आएगा। आज हाईकोर्ट प्रयाग में क्या हुआ ऐसा ही हुआ है। चंद पैसों के लिए कुछ लोगों ने अपना जमीर बेचते देखा गया और इंसानियत की हत्या के लिए संकल्प लेते हुए देखा गया। आज ऐसी जिंदगी पर शर्म आती है और इस दुनिया को छोड़ने पर गर्भ का एहसास होता है।

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आरोपी पत्रकार ने अपनी पोस्ट में लिखा है सच कभी पराजित नहीं होता ये बात वाकई सच है लेकिन उन लोगों के लिए जो वाकई सच्चे होते हैं। अब देखना होगा की आगे की कार्यवाही में कौन सच्चा और कौन झूठा साबित होता है।

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