बिकरू कांड की जांच में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित न्यायिक आयोग की टीम ने उन स्थलों का निरीक्षण किया जहां मुठभेड़ में चार अभियुक्त मारे गए। कांशीराम नेवादा गांव में अतुल दुबे और प्रेमप्रकाश के एनकांउटर स्थल पर जांच के बाद दोपहर करीब तीन बजे सचेंडी में भौती बाईपास के पास विकास दुबे के मुठभेड़ की जगह पर जांच की। टीम के सवालों से पुलिस के पसीने छूटते नजर आए। आयोग के सदस्य के सवालों की झड़ी लगा दी। पूछा, गाड़ी कहां-कैसे पलटी, कितने लोग सवार थे? इस सवाल कि विकास कहां बैठा था? जवाब मिला- पीछे सीट पर बीच में। किसकी पिस्टल लेकर भागा? नवाबगंज थाना प्रभारी रमाकांत पचौरी बोले-सर, मेरी। आप किधर बैठे थे? थाना प्रभारी बोले-बाएं। आयोग के सदस्य ने अचरज जताया कि गाड़ी बायीं और ही पलटी थी, तब तो आपकी पिस्टल शरीर के नीचे दबी होगी, विकास दुबे ने इतनी जल्दी पिस्टल कैसे निकाल ली? थाना प्रभारी ने कहा- सर पता नहीं, मैं बेहोश हो गया था। अगला सवाल था कि विकास गाड़ी से बाहर कैसे आया? थाना प्रभारी ने तुरंत जवाब दिया-पीछे वाले दरवाजे से बाहर निकल कर भागा। इस पर आयोग के सदस्य बोले-अच्छा…आप तो बेहोश थे!आयोग ने ये भी सवाल किए कि उज्जैन से विकास को लेकर कब चले। गाड़ी कहां बदली। टोल के बाद मीडिया के वाहन क्यों रोके? एसटीएफ ने कहा कि टोल से जांच के बाद वाहन आगे बढ़ाए जाते हैं, इसमें पुलिस की भूमिका नहीं। न्यायिक आयोग के तीनों सदस्य सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज बीएस चौहान, उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता, इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज एसके अग्रवाल ने इससे पहले दोपहर करीब 12 बजे काशीराम निवादा में 20 मिनट तक जांच की। यहां पर अतुल दुबे और प्रेम शंकर का एनकाउंटर हुआ था। टीम ने पूछा कि दोनों बदमाश कहां छिपे थे।
आयोग के सवालों से छूटे पुलिस के पसीने, पूछा-विकास पीछे के गेट से भागा! अच्छा… आप तो बेहोश थे
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