कोरोना के बावजूद चुनाव आयोग की कोशिश से बिहार में अब चुनावी बयार बहने लगी है। गठबंधन में बिखराव शुरू हो चला है। दलों की शाखाओं से कमजोर पत्ते टूटने लगे हैं और घोषणाएं अपनी पूरी रौ में हैं। इस समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तेजी देखने लायक है। विपक्ष पर हमले के साथ ही जनता को लुभाने में वो कोई कसर नहीं छोड़ रहे। जबकि इस बयार से बचने की फिराक में लगा विपक्षी खेमा भी अब जवाबी हमले की तैयारी में जुट गया है। एक-दूसरे पर जुबानी हमले तेज हो चले हैं और एक-दूसरे के घर में सेंधमारी भी। नीतीश के पास अपने बेहतर काम और लालू प्रसाद के शासनकाल के भय का हथियार है तो विपक्ष उनके पंद्रह साल की विफलताओं से वार करने की तैयारी में हैं। कुल मिलाकर माहौल अब पूरी तरह चुनावी हो चला है।नाव के भी कई राउंड होते हैं। बिहार में इस समय पाला बदल राउंड चल रहा है जिसमें पहली चोट नीतीश कुमार को तब लगी, जब कभी लालू के खासमखास रहे उद्योग मंत्री श्याम रजक 11 साल का साथ छोड़ फिर पुरानी गली लौट चले। बाहें फैलाए खड़े तेजस्वी ने तुरंत गले लगाकर नीतीश पर बढ़त बना ली।